अद्धयात्म
ये हैं रविवार के शुभ मुहूर्त, जानिए आज का पंचांग
27 दिसम्बर 2015 को रविवार है। शुभ वि.सं.: 2072, संवत्सर नाम: कीलक, अयन: उत्तर, शाके: 1937, हिजरी: 1437, मु.मास: रवि-उल-अव्वल-15, ऋतु: शिशिर, मास: मार्गशीर्ष, पक्ष: कृष्ण है।
शुभ तिथि
द्वितीया भद्रा संज्ञक तिथि दोपहर बाद 2.42 तक, तदन्तर तृतीया जया संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी।
द्वितीया तिथि में विवाहादि मांगलिक कार्य, वास्तु, भूषण, यज्ञोपवीत, यात्रा और प्रतिष्ठादिक कार्य शुभ होते हैं। इसी प्रकार तृतीया तिथि में अन्नप्राशन, गानविद्या, सीमन्तकर्म, चित्रकारी और द्वितीया तिथि में कथित समस्त कार्य शुभ होते हैं।
पर अभी धनु के मलमास में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। द्वितीया तिथि में जन्मा जातक सत्य बोलने वाला, जन्म से ही आनन्द करने वाला, प्रशंसक और सदा अपने कार्यों को तत्परता से करने वाला होता है।
नक्षत्र
पुनर्वसु नक्षत्र पूर्वाह्न 11.19 तक, तदन्तर पुष्य नक्षत्र रहेगा। पुनर्वसु नक्षत्र में यथाआवश्यक शान्ति, पुष्टता, यात्रा, अलंकार, घर, व्रतादि, सवारी, कृषि व विद्यादि कार्य करने योग्य हैं।
इसी प्रकार पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़कर सभी चर-स्थिर कार्य शान्ति, पुष्टता, वास्तु तथा अन्य उत्सव सम्बन्धी समस्त कार्य शुभ होते हैं।
पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मा जातक बुद्धिमान, विद्वान, शीतल स्वभाव, बहुमित्रों वाला, सन्तान सुखयुक्त, श्वेत वस्तुओं में रुचि रखने वाला, काव्य प्रेमी, मातृ-पितृ भक्त तथा आनन्दमय जीवन जीने वाला होता है। इनका भाग्योदय लगभग 24 वर्ष के पश्चात ही होता है।
योग
ऐन्द्र नामक नैसर्गिक अशुभ योग अपराह्न 3.10 तक, तदुपरान्त वैधृति नामक अत्यन्त उपद्रवकारी योग है। वैधृति योग समस्त मांगलिक कार्यों में सर्वथा निषेधनीय है।
विशिष्ट योग
सूर्योदय से पूर्वाह्न 11.19 तक त्रिपुष्कर नामक शुभाशुभ योग, तदुपरान्त अगले दिन सूर्योदय तक रवि पुष्य योग, राजयोग व सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग रहेंगे।
करण
गर नाम करण दोपहर बाद 2.42 तक, तदन्तर रात्रि 2.38 तक वणिज नाम करण इसके बाद भद्रा प्रारम्भ हो जाएगी। भद्रा में शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं होते हैं।
चन्द्रमा
सम्पूर्ण दिवारात्रि कर्क राशि में रहेगा।
व्रतोत्सव
मेलाजोड़ दूसरा दिन।
शुभ मुहूर्त
उक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार पुष्य नक्षत्र में वैधृति पूर्व विपणि-व्यापारारम्भ के शुभ मुहूर्त हैं। अन्य किसी मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं हैं।
वारकृत्य कार्य
रविवार को सामान्यत: स्थिर संज्ञक कार्य, राज्याभिषेक, पदग्रहण करना, ललितकला सीखना, राज्यसेवा, पशु क्रय, औषध निर्माण, धातु कार्य तथा यज्ञादि मन्त्रोपदेश आदि कार्य शुभ रहते हैं।