ज्ञान भंडार
ये है देश का सबसे साफ-सुथरा गार्डन, पीएम मोदी ने दिया अवॉर्ड
चंडीगढ़. सिटी ब्यूटीफुल के रॉकगार्डन को देश के सबसे साफ-सुथरे गार्डन के अवॉर्ड से नवाजा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एडवाइजर विजय कुमार को यह अवॉर्ड सौंपा। चंडीगढ़ के लिए यह बड़ी अचीवमेंट है, क्योंकि रॉक गार्डन देश ही नहीं, विदेशों में भी फेमस है। इसके क्रिएटर पद्मश्री नेकचंद की इच्छा थी कि जिस तरह उन्होंने इस गार्डन को पूरी उम्र संभाल कर रखा, उनके जाने के बाद भी गार्डन की देखभाल उसी तरह की जाए। गौरतलब है कि दुनिया भर से लाखों लोग हर साल चंडीगढ़ के रॉक गार्डन को देखने के लिए आते हैं। रॉक गार्डन की तर्ज पर ही देश दुनिया में कई मिनी रॉक गार्डन का भी निर्माण नेक चंद के हाथों हुआ है।
सफाईगीरी समिट एंड अवार्ड 2015…
एक पत्रिका के सर्वे में देश के सभी प्रमुख गार्डन को शामिल किया गया था। शुक्रवार को सफाईगीरी समिट एंड अवार्ड 2015 कार्यक्रम में एडवाइजर विजय कुमार देव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों क्लीनेस्ट गार्डन पुरस्कार लिया। पहली बार शहर के किसी गार्डन को देश भर में इस तरह का पुरस्कार दिया गया है। विजय देव ने कहा कि चंडीगढ़ के लिए यह पुरस्कार पाना सम्मान की बात है। यह सम्मान शहर के लोगों और रॉक गार्डन की देखरेख करने वाली टीम को समर्पित है।
बेटे का सुझाव…
नेकचंद के बेटे अनुज सैनी ने बताया कि नेकचंद जी अक्सर गार्डन की साफ सफाई का ध्यान रखते थे। वह गार्डन की सफाई के लिए लोगों को नसीहत दिया करते थे। उन्होंने बताया कि गार्डन की साफ सफाई के लिए 15 से 20 सफाई कर्मियों को रखा गया है। जो हमेशा गार्डन की साफ सफाई का ध्यान रखते है। रॉक गार्डन का निर्माण दुनिया में अजूबे से कम नहीं है।
जानिए रॉक गार्डन और नेकचंद जी से जुड़ी कुछ खास बातें…
– नेक चंद का जन्म जिस गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। उन्होंने बेकार और इस्तेमाल न होने वाले घरेलू सामान से रॉक गार्डन का निर्माण किया था। 40 एकड़ के क्षेत्र में बने इस गार्डन का उद्घाटन 1976 को किया गया था।
– जब चंडीगढ़ के निर्माण का कार्य शुरू हुआ तब नेक चंद को 1951 में सड़क निरीक्षक के पद पर रखा गया था। नेक चंद ड्यूटी के बाद अपनी साइकिल उठाते और शहर बनाने के लिए आस-पास के खाली कराए गए गांवों में से टूटे-फूटे सामान उठा लाते। सारा सामान उन्होंने पीडब्ल्यूडी के स्टोर के पास इक्ट्ठा करना शुरू किया। धीरे-धीरे अपनी कल्पना के अनुसार इन बेकार पड़ी वस्तुओं को रूप देना शुरू किया।
– नेकचंद जी ने पहले छोटा सा गार्डन बनाया और धीरे-धीरे उन्होंने इस का विस्तार करते गए। उन्हें इस कलाकारी की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं थी। यह स्थान जंगल जैसा था, जिसे वह साफ करते और बगीचे का रूप देते गए। इस पर काफी समय तक किसी की निगाह नहीं पड़ी। अकेले वह यह सब ड्यूटी के बाद चुपके से किया करते थे।