ये है भारत का एक ऐसा मंदिर जहाँ कदम रखने से भी डरते हैं श्रद्धालु, लेकिन ऐसा है क्यों
मंदिर धर्मराज
भारत एकमात्र ऐसा देश है जहां धर्म और आध्यात्म का संगम देखने को मिलता है. यहां हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के अनगिनत प्राचीन मंदिर स्थित हैं और उन तमाम मंदिरों से जुड़ी कोई ना कोई ऐतिहासिक मान्यताएं प्रचलित हैं. भारत के इन मंदिरों में विराजमान देवी-देवताओं के दर्शन पाने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त आते हैं और ईश्वर के दरबार में अपनी हाजिरी लगाकर मनचाही मुराद पाते हैं. लेकिन देश के इन प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में एक मंदिर ऐसा भी है जहां दर्शन करना तो दूर की बात हैं वहां अपने कदम रखने से भी भक्त डरते हैं.
मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है ये मंदिर धर्मराज
दरअसल हिमाचल प्रदेश के चम्बा के पास एक छोटे से कस्बे भारमोर में स्थित यह मंदिर धर्मराज यानी मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित है. यह मंदिर धर्मराज दिखने में बिल्कुल एक घर जैसा दिखता है. यहां आनेवाले लोग मंदिर धर्मराज के भीतर प्रवेश करने से कतराते हैं और बाहर से ही प्रार्थना करके निकल जाते हैं.
इस मंदिर धर्मराज से जुड़ी है ये खास मान्यताएं
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि इस मंदिर के भीतर एक कक्ष बना हुआ है जो चित्रगुप्त को समर्पित है. यमराज के सहायक होने के साथ ही चित्रगुप्त लोगों के अच्छे और बुरे कर्मों का पूरा लेखा-जोखा अपने पास रखते हैं. मान्यता है कि जब भी किसी की मृत्यु होती है तो यमराज के दूत सबसे पहले उस व्यक्ति की आत्मा को इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने पेश करते हैं. चित्रगुप्त यहां आनेवाली आत्माओं को उनके कर्मो का पूरा ब्योरा देते हैं इसके बाद चित्रगुप्त के सामने के कक्ष में आत्माओं को ले जाया जाता है जिसे यमराज की कचहरी कहते हैं.
जन धारणाओं के अनुसार इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबे और लोहे से बने हुए हैं. यमराज की कचहरी में पेश होनेवाली आत्माओं को लेकर जब यमराज का फैसला आता है तब उनके दूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं. गरूड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख मिलता है.
गौरतलब है कि भले ही जीते जी इंसान इस मंदिर में जाने से कतराते हैं लेकिन मरने के बाद हर इंसान की आत्मा को सबसे पहले यमराज के इस मंदिर में हाजिरी लगानी पड़ती है और यहीं पर यमराज उनके कर्मों के अनुसार उन्हें स्वर्ग या नर्क में भेजने का फैसला करते हैं.