ये 10 खासियतें बनाएंगी लखनऊ मेट्रो को सबसे स्पेशल
चलने में असहज यात्रियों के लिए व्हील चेयर की व्यवस्था सभी स्टेशनों पर रहेगी। अभी ट्रेनें 8.5 किमी लंबे प्राथमिकता सेक्शन के ट्रांसपोर्टनगर, कृष्णानगर, सिंगारनगर, आलमबाग, आलमबाग बस अड्डा, मवैया, दुर्गापुरी, चारबाग तक चलनी है।
पार्किंग की व्यवस्था
यात्रियों को छोड़ने आने वाले वाहनों को खड़ा करने के लिए इस मेट्रो स्टेशन पर पार्किंग की व्यवस्था भी रहेगी। यहां पिक एंड ड्रॉप प्वाइंट्स भी बनाए गए हैं। बुजुर्गों के लिए लिफ्ट: सीधे कोनकोर्स लेवल तक ले जाने को बुजुर्ग, बीमार, दिव्यांगों और गर्भवती महिलाओं के लिए लिफ्ट की सुविधा।
धूप से बचाव के लिए इस स्टेशन पर पहली बार कवर का उपयोग किया गया है।
सिविल वर्क में लखनऊ मेट्रो ने देश में अब तक उपयोग हुई तकनीक की तुलना में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया। मवैया पर रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर से 265 मीटर लंबा स्पेशल स्पान तैयार करना मुश्किल काम था। इसके लिए लखनऊ मेट्रो के इंजीनियर्स ने बैलेंस्ड कैंटेलीवर तैयार कराया। यह करीब डेढ़ साल में तैयार हुआ।
इसके अलावा अवध चौराहे पर भी स्टील का पुल तैयार किया गया। 60 मीटर लंबे इस पुल को पहले हरियाणा की एक फैक्ट्री में तैयार किया गया। इसके बाद टुकड़ों में इसे लखनऊ लाया गया और दोबारा इसे जोड़कर लगाया गया। एलीवेटेड रूट बनाने को लखनऊ मेट्रो ने बैलास्टलेस ट्रैक (जिसमें किसी भी मौसम में टूट-फूट नहीं होगी) का इस्तेमाल किया।
– कट एंड कवर विधि, रैंप बनाने के लिए
– टनल बोरिंग मशीन से खुदाई, भूमिगत सुरंग के लिए
– बैलास्टलेस ट्रैक पर बने स्टैंडर्ड गेज पर ट्रेन का संचालन होना
43 करोड़ की आधुनिक ट्रेन
लखनऊ मेट्रो के लिए 43 करोड़ की ट्रेन का निर्माण फ्रांस की कंपनी ने किया। बंगलुरु के स्टूडियो में कंपनी ने इसका डिजाइन फाइनल कराया। इसके बाद चेन्नई स्थित श्रीसिटी प्लांट में इन्हें तैयार किया गया। कम वजन वाली स्टील से तैयार ट्रेन के कोच जहां हल्के हैं, वहीं इनमें 30 प्रतिशत से कम ऊर्जा खर्च होगी। लखनऊ मेट्रो की ट्रेन की बड़ी खासियत इसका कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल (सीबीटीसी) सिस्टम है। इससे ट्रेन को ट्रांसपोर्ट नगर डिपो में बने ऑपरेशन कंट्रोल रूम से भी संचालित किया जा सकता है। ट्रेन में ऑपरेटर या ड्राइवर के न होने पर भी इसे चलाया जा सकता है।
वहीं, मवैया तिराहे पर ऐशबाग से कानपुर रोड की तरफ आने वाले ट्रैफिक को फंसने से बचाने को डिजाइन बदल दिया गया। यहां सिंगल पीयर (खंभे) पर ट्रैक को आगे बढ़ाने की जगह दो पीयर पर बीम की मदद से स्पोर्ट यू-गर्डर्स को दिया गया। इससे दोनों पीयर के बीच से ट्रैफिक आसानी से निकल पा रहा है। दोनों पीयर करीब 30 मीटर ऊंचे हैं। इससे यह स्ट्रक्चर खास हो जाता है।