योगी कैबिनेट के पहले विस्तार में क्या टॉप 3 में भी होगा बदलाव?
उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 2017 के चुनाव में प्रचंड जनादेश मिला. बीजेपी गठबंधन ने 403 सीटों में से 325 सीटें जीतकर सूबे में 14 साल के सत्ता के वनवास को खत्म किया. मुख्यमंत्री का ताज योगी आदित्यनाथ के सिर सजा, तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा बने. योगी सरकार के एक साल का सियासी सफर 19 मार्च को पूरा हो गया है. गोरखपुर-फूलपुर उपचुनाव की हार ने बीजेपी के जश्न को फीका कर दिया. यही वजह है कि अब योगी मंत्रिमंडल में फेरबदल होने जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि सूबे की सरकार में टॉप थ्री में भी कोई बदलाव होगा या फिर मंत्रियों तक ही सीमित रहेगा.
बता दें कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से तय होता है. इस बात से बीजेपी बखूबी वाकिफ है. 2014 में मोदी के सत्ता में आने में भी यूपी की अहम भूमिका रही है. 2014 लोकसभा चुनाव जैसा नतीजा 2019 में दोहराने के लिए बीजेपी अभी से जमीन तैयार करना चाहती है. इसी के मद्देनजर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 10 दिन यूपी में गुजारा था. इस दौरान उन्होंने सूबे की सियासी नब्ज को समझा. इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ मुलाकात करके सूबे का फीडबैक लिया था. इसी मद्देनजर अगले महीने सूबे का दौरा करेंगे.
10 अप्रैल को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के यूपी दौरे के बाद योगी का पहला कैबिनेट विस्तार होगा. इस विस्तार में कई मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी को भी योगी सरकार में शामिल किया जा सकता है. इस फेरबदल में कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को हटाकर संगठन की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. ऐसे में सूबे की तिकड़ी को लेकर संशय बना हुआ है.
योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री रहते हुए भी अपने दुर्ग गोरखपुर को नहीं बचा सके. जबकि बीजेपी गोरखपुर में पिछले तीन दशक ने नहीं हारी थी. इसके बावजूद उपचुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा. गोरखपुर में हार के बाद योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पर पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगह से आवाज उठी है. इतना ही नहीं उन पर जातिवाद का आरोप भी लगा. योगी के पास मौजूदा समय में करीब गृह मंत्रालय सहित 36 मंत्रालय हैं. इतना ही नहीं ओम प्रकाश राजभर योगी के बजाय केशव मौर्य को सीएम बनाए जाने की मांग भी उठा चुके हैं. हालांकि उपचुनाव के हार के बाद पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने योगी के कामकाज की तारीफ की है. ऐसे में उनके कुर्सी पर किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. लेकिन कुछ विभाग जरूर लिए जा सकते हैं.