योग की यह क्रिया मोटापे के साथ आलस को भी भगाएगी दूर
मूलाधार चक्र को जगाने के लिए साधना विज्ञान में कितने ही प्रकार के अभ्यास उपचार बताये गये हैं। इनमें मूलबंध, नाडीशोधन प्राणायाम चक्र का ध्यान तथा नासिकाग्र दृष्टि जिसे अगोचरी मुद्रा भी कहते हैं, प्रमुख हैं।
मूलाधार चक्र जननेन्द्रिय और मलद्वार के बीच होता है। यह चक्र प्रजनन अंगों, प्रतिरक्षा प्रणाली और बड़ी आंत की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करता है। इसकी निष्क्रियता से आलस्य, मोटापा, गठिया, सूजन आदि की समस्या होती है। इसकी सक्रियता से कुंडलिनी जागरण होती है।
व्यक्ति युवा महसूस करता है और उसमें स्थिरता तथा सहनशीलता के गुण विकसित होते हैं। सीधे लेटकर दोनों हाथों के अंगूठों को शेष उंगलियों के बीच दबाकर मुट्ठियां बना लें। अब धीमी-गहरी श्वास भरते हुए गुदामार्ग को सिकोड़ें और सांस छोड़ते हुए गुदामार्ग को ढीला छोड़ दें। इसे सुबह-शाम पांच-पांच मिनट करें।