योजना लागू करने से पहले सोचती नहीं मोदी सरकार : मोइली
नई दिल्लीः वित्तीय मामलों से संबंधित संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली ने भूमि अधिग्रहण विधेयक और वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) विधेयक के संबंध में आज कहा, “मोदी सरकार किसी योजना को लागू करने से पहले उसके भविष्य के प्रभावों को लेकर सोचती नहीं है।”कांग्रेस नेता मोइली ने उद्योग संगठन एसोचैम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के इतर संवाददताओं के सवालों के जवाब में कहा, “‘इस सरकार की सबसे बड़ी कमी यह है कि वह पहले करती है और बाद में सोचती है। उन्हें पहले सोचना चाहिए और उसके बाद कुछ करना चाहिए। भूमि अधिग्रहण विधेयक इसका अच्छा उदाहरण है, जी.एस.टी. विधेयक दूसरा उदाहरण है।”उन्होंने कहा, “हम शुरू से ही कह रहे थे कि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर एक के बाद एक अध्यादेशों के जरिए संशोधन की जरूरत नहीं थी।” जी.एस.टी. के बारे में उन्होंने कहा कि यह अच्छा प्रयास है लेकिन सरकार ने इसके लिए सही से रोडमैप तैयार नहीं किया है। वे कह रहे हैं कि 01 अप्रैल 2016 से जी.एस.टी. लागू कर देंगे लेकिन अभी इसमें काफी प्रक्रियात्मक कार्य अधूरे हैं। पहले इसे संसद में पारित किया जाना है। इसके बाद राज्यों की विधानसभाओं में पारित करना होगा। इन सारी संसदीय प्रक्रियाओं में समय लगेगा। मोदी सरकार की एक अन्य योजना ‘स्वर्ण मौद्रीकरण योजना’ को आड़े हाथों लेते हुए मोइली ने कहा कि इस योजना की सफलता को लेकर संदेह है। उन्होंने कहा कि एक तो भारत में सोना सिर्फ निवेश की वस्तु नहीं है, इससे लोगों का भावनात्मक लगाव है। दूसरे, हो सकता है कि लोग पुरखों के समय से परिवार में मौजूद इस संपत्ति की सरकार के पास घोषणा न/न करना चाहें। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद कारोबारियों तथा कॉमोडिटी एक्सचेंज और विश्व स्वर्ण परिषद के प्रतिनिधियों से कहा कि वे इस योजना को लेकर अपनी चिंताएं तथा अनुशंसाएं संसद की स्थायी समिति के समक्ष रखें। इस पर विचार किया जाएगा और समिति इस संबंध में एक एकल रिपोर्ट भी जारी कर सकती है।