मनोरंजन

यौन इच्छा माहिलाओं के लिए अपराध माना जाता है, यह ठीक नहीं : स्वरा भास्कर


मुम्बई : ‘पद्मावत’ के बाद करीना कपूर खान, सोनम कपूर आहूजा, स्वरा भास्कर और शिखा तलसानिया स्टारर ‘वीरे दी वेडिंग’, इस साल की दूसरी सबसे चर्चित फिल्म बन चुकी है। इस फिल्म के रिलीज होने से पहले जहां इसमें लड़कियों के गाली-गलौज करने, शराब पीने, सेक्स की बातें करने को लेकर विवाद हो रहा था, वहीं फिल्म रिलीज होने के बाद हर तरफ सिर्फ एक ही सीन की चर्चा है और वह है स्वरा भास्कर का मास्टरबेशन सीन। हालांकि, फिल्म को पसंद करने वालों की भी कमी नहीं है, जिसके चलते यह बॉक्स ऑफिस पर करीब 65 करोड़ का दमदार बिजनस कर चुकी है। ऐसे में हमने स्वरा से फिल्म की सक्सेस, उनके चर्चित सीन
ये बहुत घटिया मानसिकता हैं… पुरुष मस्टरबिन करे तो सही और महिला करे तो गलत… ऐसा क्यों ? यौन इच्छाओं को शांत कोई कैसे भी करे… किसी को प्रॉब्लम क्यों ? मुझे तारीफ तो बहुत सी मिली, लेकिन हिमांशु (स्वरा के बॉयफ्रेंड और फिल्म राइटर हिमांशु शर्मा) ने एक बात बोली, जो मुझे बहुत अच्छी लगी कि तुमने जिस तरह से वह कैरक्टर किया है, वह लड़की बुरी नहीं लग रही। वह अमीर है, बिगड़ैल है, लेकिन उसमें कुछ प्यारा सा है, जिससे उसकी कोई हरकत बुरी नहीं लगी। यह मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी, क्योंकि मेरी कोशिश यही थी। मैं चाहती थी कि साक्षी भले ही अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद है, लेकिन आपको वह पसंद आनी चाहिए। इसके अलावा, किसी ने मुझसे कहा कि यह अर्बन और मॉडर्न अनारकली है। यह भी मुझे बहुत अच्छा लगा। ‘वीरे दी वेडिंग’ सबसे ज्यादा ओपनिंग बिजनस करने वाली फीमेल सेंट्रिक फिल्म बन चुकी है। इस सक्सेस को आप कैसे देखती हैं? मैं इस सफलता को बहुत खुशी और आभार के साथ देखती हूं। साथ ही एक उम्मीद के साथ भी देखती हूं। पहली बार बॉलिवुड में एक ऐसी फिल्म, जो महिला केंद्रित थी, जिसकी बागडोर चार हिरोइनों के हाथों में थी, जिसे महिला प्रड्यूसर्स बना रही थीं। उसने 10.75 करोड़ की ओपनिंग की, यह कोई छोटी बात नहीं है, यह सफलता बहुत बड़ी है। हमारी इंडस्ट्री में माना जाता है कि महिला केंद्रित फिल्में पैसे नहीं बनाती हैं, लेकिन हमारी फिल्म ने यह मान्यता तोड़ी है। देखा जाए तो ये जो सौ करोड़ का क्लब है, वह मर्दों का क्लब है। उसमें ज्यादातर पुरुष प्रधान फिल्में हैं। ऐसे में, अभी ‘राजी’ शामिल हुई है। फिर, उसमें ‘वीरे दी वेडिंग’ भी शामिल हो जाती है तो वह सौ करोड़ क्लब सही मायने में लड़कियों का भी हो सकता है। मुझे लगता है कि इस सफलता के बहुत से मायने हैं। आप ये भी देखें कि इस फिल्म में चार हिरोइनें हैं। सब 30 या 30 के ऊपर की हैं। एक मां है। एक शादीशुदा है। एक ऐक्टिविस्ट टाइप है। एक नई है, जिसका बॉडी टाइप टिपिकल हिरोइन जैसा नहीं है। इन चार लड़कियों की फिल्म इतनी सक्सेसफुल हो रही है, पैसा बना रही है तो ये मेरे लिए उम्मीद है। यह एक नई दिशा देती है, खासकर ऐक्ट्रेसेज के लिए, उनके करियर के लिए, उनकी फिल्मों के लिए।

Related Articles

Back to top button