भाई-बहन के अटूट स्नेह के प्रतीक रक्षाबंधन इस बार भद्रा का साया नहीं रहेगा। इस बार तीन साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है। रक्षाबंधन का पर्व 18 अगस्त 2016 को मनाया जाएगा और इस दिन भद्रा सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी।
इसके चलते बहनें पूरे दिन भाइयों को राखी बांध सकेंगी। इस बार श्रावणी पूर्णिमा 17 अगस्त को रात 10.27 बजे से अगले दिन 18 अगस्त को रात 8.53 बजे तक होगी। भद्राकाल 17 अगस्त को 4.27 बजे शुरू होगा और 18 को सूर्योदय से पहले 3.42 बजे समाप्त हो जाएगा। इसके बाद सूर्योदय से श्रावण शुक्ल पूर्णिमा शुरू हो जाएगी।
दोपहर बाद का समय श्रेष्ठ
भाई की कलाई पर रक्षासूत्र कभी भी बांधा जा सकता है लेकिन अपराह्न का समय रक्षाबंधन के लिए अधिक उपयुक्त माना जाता है जो कि हिन्दू समय गणना के अनुसार दोपहर के बाद का समय है।
यदि अपराह्न का समय भद्रा आदि की वजह से उपयुक्त नहीं है तो प्रदोष काल का समय भी रक्षाबंधन के संस्कार के लिए उपयुक्त माना जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश कुमार शास्त्री के अनुसार रक्षाबंधन के पर्व पर सिंहासन गौरी योग रहेगा।
बहन-भाई के जीवन में सिंहासन योग से राजपाठ, वैभव और गौरी योग से मंगल, शुभ समाचार जीवन में आएंगे। साथ ही आर्थिक संपन्नता भी आएगी।
पर्व के दिन शुभ 6.04 से 7.40 , चर 10.54 से 12.31, लाभ-अमृत 12.31 से 3.44, शुभ 5.21 से 6.58 शुभ, अमृत और चर की चौघड़िया में राखी बांधी जा सकती है।