ज्ञान भंडार

रमन सिंह के पांच हजार दिन पर जश्न, 14 साल के सफर में कई आयाम

रायपुर: छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह अपने कार्यकाल का पांच हजार दिन पूरा कर रहे हैं। पांच हजार दिन पूरे होने के मौके पर राज्य में जश्र की तैयारी है। स्वतंत्रता दिवस के साथ इस मौके पर सत्ताधारी दल और सरकार का जश्न दोगुना हो गया है। इधर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर किसी रोचक कहानी से कम नहीं है। अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रमन सिंह केन्द्रीय उद्योग राज्य मंत्री थे। इसी दौरान 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण होने के बाद तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष को राज्य के नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चिंता थी। उस वक्त भाजपा के संगठन में बदलाव हुआ। इसके बाद 24 जनवरी 2002 तक संगठन की कमान किसी अन्य भाजपा नेता के हाथों में थी। चुनावी वर्ष के पहले कांग्रेस की चुनौतियों से जूझ रही भाजपा के पास विकल्प नजर नहीं आ रहा था।

इसी दौरान केन्द्रीय मंत्री के तौर पर मुख्यमंत्री रमन सिंह से तत्कालीन अध्यक्ष वेंकैया नायडू ने प्रदेश अध्यक्ष का प्रस्ताव दिया। हालांकि यह प्रस्ताव तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री रमेश बैस को था, लेकिन उन्होंने केन्द्रीय मंत्री का पद छोडऩे से अनिच्छा जता दी थी। इसके बाद केन्द्रीय नेतृत्व के पास रमन ही बेहतर विकल्प थे। वेंकैया के आग्रह के बाद रमन ने प्रदेश संगठन की कमान संभाली वहीं संगठन को नए सिरे से संजीवनी देना शुरू किया। तत्कालीन जोगी सरकार के खिलाफ भाजपा आक्रामक ढंग से मैदान में उतरी। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2003 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। भाजपा नेतृत्व ने इसका श्रेय रमन सिंह के कुशल नेतृत्व को दिया। वहीं सीधे मुख्यमंत्री के पद पर रमन सिंह को बिठाने का फैसला लिया। पेशे से एक आयुर्वेद डाक्टर ने यहां जनता की नब्ज टटोलना शुरू किया। आज 14 साल बाद वे निर्विवाद तौर पर लगातार प्रदेश की कमान संभाले हुए हैं। इस दौरान छत्तीसगढ़ ने कई मुकाम भी हासिल किए। पंाच हजार दिन पूरे करने के बाद भी अभी एक वर्ष का कार्यकाल बाकी है। वहीं भाजपा अब रमन की चौथी पारी के लिए कवायदों में जुटी हुई है।

Related Articles

Back to top button