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रमन सिंह ने राजनाथ सिंह ने की मुलाकात, केंद्र से मांगे साढ़े चार हजार करोड़

ilpkm_1446935902दस्तक टाइम्स/एजेंसी: छत्तीसगढ – रायपुर/नई दिल्ली। नक्सलवाद से जूझ रहे बस्तर एवं आसपास के इलाकों के विकास के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 4 हजार 435 करोड़ रुपए की मांग की है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया के साथ उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने बस्तर के विकास का एक्शन प्लान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि अब बस्तर का विकास समय सीमा में करने की जरूरत है। तीन साल के अंदर बस्तर का चरणबद्ध तरीके से विकास किया जाएगा। इसके लिए बस्तर व आसपास के इलाकों को सेक्टर में बांटकर सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। फंड की उपलब्धता के लिए उन्होंने नीति आयोग के उपाध्यक्ष को सलाह देते हुए कहा कि आयोग बैक्वर्ड रीजन ग्रांट फंड और रूरल डेवलपमेंट फंड को बस्तर के विकास के लिए हस्तांतरित कर सकता है। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात के दौरान भी मुख्यमंत्री ने बस्तर के विकास का मुद्दा उठाया। इसके अलावा सीएम ने एसपीओ की भर्ती आक्सीलियरी फोर्स में किए जाने के बाद से केंद्र द्वारा वेतन और भत्ते की राशि रोकने का मुद्दा भी उठाया। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने ढाई सौ करोड़ का प्रस्ताव भी केंद्र को भेजा है। केंद्रीय गृह मंत्री ने तत्काल इस पर सहमति दी। इसके अलावा आरआरपी के तहत सड़कों के विकास के लिए अलग से 22 सौ करोड़ का प्रस्ताव राज्य ने केंद्र को सौंपा है।
 
सड़क व पुलों के लिए गृहमंत्री से मांगी मदद
मुख्यमंत्री ने शनिवार को केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी मुलाकात की। इस दौरान बस्तर के विकास के लिए तैयार एक्शन प्लान के साथ ही नक्सल प्रभावित इलाकों के 7 जिलों में पुल पुलियों और सड़क निर्माण के लिए 2 हजार 305 करोड़ रुपए की अलग से मांग की। उन्होंने कहा कि इस मद से राजनांदगांव में 918 किलोमीटर लंबी 59 सड़क और दो बड़े पुलाें का निर्माण किया जाना है। इससे बस्तर में आवागमन के साधन बेहतर होंगे। उन्होंने कहा कि नक्सल विरोधी अभियान के लिए नियुक्त सहायक कांस्टेबलों पर पिछले चार सालों में 250 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जिसका भुगतान केंद्र के पास लंबित है। मुख्यमंत्री ने अनश्रेडेड स्क्रैप के आयात का क्लियरेंस रायपुर से कराने की अनुमति प्रदान करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में स्टील उत्पादकों को नागपुर से यह सामग्री रायपुर लानी होती है जिससे लागत में अनावश्यक वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि रायपुर में इसके परीक्षण और स्केनिंग की सभी आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं।
 
बैठक में प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के सचिव सुबोध कुमार सिंह, आवासीय आयुक्त बीवी उमादेवी, संचालक जनसंपर्क राजेश कुमार टोप्पो और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी विक्रम सिसोदिया भी उपस्थित थे।
 
प्रदेश में नियमित शिक्षकों की भर्ती होते ही बंद होगी आउटसोर्सिंग : रमन सिंह
छत्तीसगढ़ में शिक्षकों के आउटसोर्सिंग को लेकर मचे घमासान के बीच मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने स्पष्ट किया है कि जब तक प्रदेश में नियमित शिक्षकों की भर्ती नहीं हो जाती है तब तक कांट्रेक्ट के आधार पर शिक्षकों को रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि, प्रदेश में नियुक्ति के बावजूद भी बस्तर जैसे क्षेत्रों में शिक्षक जाते ही नहीं। ऐसे में गणित, अंग्रेजी, रसायन, भौतिक और जीव विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों की कमी को देखते हुए कम से कम एक-डेढ़ साल के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है। कांग्रेस ने प्रदेशभर में आउटसोर्सिंग को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, विपक्ष के नेता टी.एस.सिंहदेव सहित पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के विधायक पुत्र अमित जोगी ने मुख्यमंत्री पर आरक्षण के नियमों को दरकिनार करने का आरोप लगाया गया है।

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