दस्तक-विशेषराष्ट्रीय

रवि शास्त्री को बनाएं भारतीय टीम का कोच

– नरेन्द्र देवांगन
shastriभारतीय क्रिकेट टीम के हरफनमौला क्रिकेटर रहे रवि शास्त्री ने पिछले साल जब टीम के निदेषक का पद संभाला तो बुरी तरह हार रही टीम ने विदेषी धरती पर संघर्ष का जज्बा दिखाना शुरू किया। इसके बाद विष्वकप तक आते-आते तो टीम ने अविष्वसनीय प्रदर्षन से सभी को चकित कर दिया। अब उन्हें भारतीय टीम का लंबी अवधि के लिए कोच नियुक्त करने की चर्चा जोरों पर है। यदि उन्हें कोच बनाया जाता है तो डेढ़ दषक के बाद टीम का कोच भारतीय होगा। तो क्या पूर्व मं विदेषी कोच को रखना भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की भूल कही जाएगी? कोच के रूप में कितने सफल रहेंगे रवि शास्त्री ? उनका और एक दिवसीय टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से रहा टकराव टीम की मनोदषा पर क्या प्रभाव डालेगा? रवि शास्त्री को यदि भारतीय क्रिकेट टीम का पूर्णकालिक कोच बनाए जाने की केवल चर्चा ही है और वह इसलिए है क्यांेकि वे टीम के साथ लंबे समय से जुड़े हुए हैं। वर्तमान मं वे टीम के निदेषक हैं और उनके टीम प्रबंधन में जुड़ने के कारण ही टीम अलग अंदाज में प्रदर्षन कर रही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यदि उन्हें कोच नियुक्त करता है तो उसे बहुत ही सूझबूझ भरा फैसला कहा जाएगा।
बतौर खिलाड़ी रवि शास्त्री का रिकार्ड अच्छा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में ऐसे स्पिनर के तौर पर प्रवेष किया था जो बैटिंग भी कर सकता था। नंबर 10 पर बैटिंग करने वाले रवि शास्त्री ऐसे ऑलराउंडर बन गए जिसने टीम इंडिया के लिए ओपनिंग भी की। 1985 में ऑस्ट्रेलिया में बेंसन एंड हेजेज सीरीज के दौरान वह ‘चैंपियन ऑफ चैंपियंस‘ चुने गए थे। उन्होंने बतौर हरफनमौला खिलाड़ी शानदार प्रदर्षन किया था। भारत के प्रथम श्रेणी के मैचों में उन्होंने सबसे पहले एक ओवर में छह छक्के मारने का रिकार्ड बनाया। विष्वकप 2007 में खराब प्रदर्षन के बाद मुख्य कोच ग्रेग चैपल ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद रवि शास्त्री को मैनेजर के तौर पर भारतीय टीम के साथ बांग्लादेष भेजा गया था। अगस्त 2014 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट श्रृंखला में लचर प्रदर्षन के बाद बीसीसीआई ने एकदिवसीय श्रृंखला के लिए रवि शास्त्री को टीम निदेषक बनाया। उनकी अगुवाई में टीम इंडिया ने पांच एकदिवसीय मैचां की श्रृंखला 3-1 से जीती। एक मैच रद्द रहा। एकमात्र टी-20 में हारे। जनवरी 2015 में आस्ट्रेलिया दौरे पर भी रवि शास्त्री टीम के निदेषक की भूमिका में रहे। हालांकि टीम को पराजय झेलनी पड़ी लेकिन प्रदर्षन सुधरने लगा।
विष्वकप 2015 में आस्ट्रेलिया दौरे पर भी रवि शास्त्री टीम के निदेषक की भूमिका में रहे। हालांकि टीम को पराजय झेलनी पड़ी लेकिन प्रदर्षन सुधरने लगा। विष्वकप में विजेता की दौड़ से समझा जाने लगा भारत सेमीफाइनल तक पहुंचा।
भारतीय टीम के खिलाड़ी रवि शास्त्री के साथ काफी घुलमिल गए हैं और सभी का तालमेल उनके साथ अच्छा है। वे आम कोच की तरह नहीं है जो सिर्फ फिटनेस और रणनीति पर ही ध्यान देते हैं। वे जीत के लिए खेलते रहे हैं। यह उनके स्वभाव में है। वे विराट कोहली की तरह मैदान के बाहर और अंदर बहुत ही आक्रामक खिलाड़ी तो नहीं रहे हैं लेकिन वे बहुत ही खुल कर अपनी राय रखने वाले व्यक्ति रहे हैं। टीम में जिस स्तर के खिलाड़ी होते हैं उन्हं प्रषिक्षण की आवष्यकता नहीं होती। उन्हें तो केवल मेंटर की जरूरत होती है जो उनकी गलतियों को बताकर उसे सुधारने में मदद कर सके। उन्हें प्रेरित करे और मनोदषा को मजबूत बनाए। रवि शास्त्री ने विष्वकप तक यही किया था। खिलाड़ियों के साथ उनका तालमेल अच्छा हो गया है। विराट कोहली के साथ उन्होेंने समय बिताया उसका परिणाम यह रहा है कि टेस्ट मैच में इस कप्तान और उनके बीच समझदारी बढ़ गई है। दोनों के बीच मैदान के अलावा भी बहुत ही अच्छा तालमेल बन गया है। रवि शास्त्री बहुत ही सकारात्मक भी रहते हैं। उनमें यह कला है कि वे जो कहते हैं, उस बात को मनवाना भी उन्हंे आता है। यह सही है कि विराट कोहली के साथ उनका तालमेल बहुत ही अच्छा हो गया है। यदि वे पूर्णकालिक कोच बनते हैं तो इस पर विराट कोहली ने भी सकारात्मक रूख जाहिर किया, इस बात की खबरें भी हैं। अब, जहां तक महेंद्र सिंह धोनी के साथ संबंधों की बात है तो कहा जा सकता है कि दोनों में वैसी ट्यूनिंग तो नहीं है जैसी विराट कोहली और उनके बीच है।
जहां तक विदेषी कोच जॉन राइट, ग्रेग चैपल, गैरी कर्स्टन और डंकन फ्लेचर से डेढ़ दषक मिली कोचिंग का सवाल है तो हमें पता है कि जॉन राइट और गैरी कर्स्टन ने टीम को कितनी बेहतर तरीके से संवारा। ग्रेग चैपल और डंकन फ्लेचर ने टीम के लिए क्या किया? अब पता चल गया है कि इन विदेषी कोचों से अतिरिक्त लाभ नहीं होता। इनके मुकाबले हमारे ही देष में अनेक विचारवान, रणनीतिकार खिलाड़ी मौजूद हैं तो पता नहीं विदेषी कोच की आवष्यकता क्यों पड़ती है?  वास्तविक कोच तो वही होता है, जो किसी खिलाड़ी को शुरूआत से खेलना सिखाता है। वही कोच बड़ी जल्दी समझ जाता है कि वह खिलाड़ी कहां गलती कर रहा है और उसे सुधारा कैसे जा सकता है। किसी गेंदबाज या बल्लेबाज को बनाने वाला कोच ही बता सकता है कि गेंदबाज का रनअप कैसा था या बल्लेबाज का फुट मूवमेंट कैसा था और कैसे उसे दुरूस्त किया जा सकता है? पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीम का कोच किसी खिलाड़ी को न तो बना सकता न उसकी बुनियादी खामियों को दूर कर सकता है। वह वीडियो देखकर खामी बता सकता है पर उसे ठीक कैसे करा सकता है? टीम को कोच नहीं मेंटर चाहिए होता है जो टीम से पूरा जुड़ाव रख सके और उसकी गलतियों को सुधार सके। रवि शास्त्री वर्तमान में इस लिहाज से सर्वश्रेष्ठ पसंद दिखाई देते हैं।

Related Articles

Back to top button