राजकीय इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल नहीं बन सकेंगे BSA
लखनऊ. अब बीएसए को डायट में वरिष्ठ प्रवक्ता बनाकर नहीं भेजा जाएगा और न ही राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्यों को बीएसए के पद पर तैनाती दी जाएगी। शिक्षा विभाग में एक ऐतिहासिक फैसले के तहत प्रशासनिक, शैक्षिक और प्रशिक्षण का कॉडर अलग कर दिया गया है।अभी तक संवर्ग में कोई स्पष्ट विभाजन न होने के कारण मारामारी रहती थी। ज्यादातर अधिकारी बीएसए या फिर जिला विद्यालय निरीक्षक यानी डीआईओएस ही बनना चाहते थे। राजकीय इंटर कॉलेजों में प्राचार्य के पद पर सीधी भर्ती से आए अभ्यर्थी भी बीएसए बनते रहे हैं। वहीं, डायटों में वरिष्ठ प्रवक्ता के पद तैनाती साइड पोस्टिंग मानी जाती है। अब अधिकारियों से विकल्प लिया जाएगा कि वे किस संवर्ग यानी काडर में जाना चाहते हैं?प्रशासनिक, प्रशिक्षण और शैक्षिक संवर्ग-शिक्षा विभाग में प्रशासनिक, प्रशिक्षण, शैक्षिक संवर्गों में अधिकारियों को किसी एक संवर्ग को चुनना होगा और फिर वे किसी दूसरे संवर्ग में नहीं जा सकते हैं। बीएसए, डीआईओएस, मंडलीय उप शिक्षा निदेशक, मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक, अपर निदेशक और निदेशक का पद प्रशासनिक संवर्ग में रखा गया है। इन्हें शिक्षण या प्रशिक्षण के कामों में नहीं लगाया जा सकेगा।वरीयता और वरिष्ठता के आधार पर तय होगा संवर्ग-अधिकारियों से किसी एक संवर्ग में समायोजन के लिए प्राथमिकता के विकल्प मांगे जाएंगे यानी अधिकारी को बताना होगा कि वह शैक्षिक, प्रशिक्षण या फिर प्रशासनिक में से किसे नंबर एक, दो या तीन की वरीयता देगा। इसके बाद समायोजन होगा। यदि किसी संवर्ग में स्वीकृत पदों की संख्या से अधिक विकल्प प्राप्त होते हैं तो वरिष्ठता के आधार पर समायोजन किया जाएगा। समायोजन के लिए विकल्प देने या न देने पर किया गया समायोजन बदला नहीं जा सकेगा यानी रिटायर होने तक अधिकारी को उसी संवर्ग में रहना होगा।