राजधानी में आवारा पशुओं को भी मिले बसेरा
लखनऊ (एजेंसी)। उत्तार प्रदेश की नई सरकार ने घोषणा पत्र में किये गये वादे को अमल में लाना शुरू कर दिया है। अवैध बूचड़खाने बंद हो रहे हैं लेकिन रोड पर आवारा पशुओं का इंतजाम अभी तक नहीं हो पाया है। यह भी अपने आप में बड़ी समस्या है।
राजधानी की सड़कों पर आवारा जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुश्किल यह भी है कि जिन गौशालाओं में आवारा पशुओं को रखा जाता है, वहां पशुओं की इतनी संख्या हो गई है कि अब और जगह ही नहीं बची है। छुट्टा जानवर यानी वो पशु जिनके मालिक दूध निकालने के बाद चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं, लेकिन बाहर चारे का इंतजाम न होने पर वो किसानों के खेतों को नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या गायों की है, उसके बाद सांड और बछड़े हैं। नादरगंज के रवीन्द्र ने बताया कि लोग बचा हुआ खाना जुठन सड़कों पर भेज देते हैं। ऐसे में वहां पर खड़े आवारा जानवर उसे खाते हैं।
वहां पर पड़ी पॉलीथीन भी वह खा लेते हैं। इससे काफी परेशानी जानवरों को उठानी पड़ती है। रामगोपाल मिश्रा ने बताया कि सब्जी सड़कों पर पड़ी रहती है। ऐसे में झुंड में गाय यहीं खड़ी रहती है। गायों का झुंड लोगों को इस तरह परेशान कर देता है कि उनकी वजह से सड़कों पर जाम भी लग जाता है। यह समस्या लखनऊ के अमीनाबाद की ही नहीं है, बल्कि कई जगहों पर है। लखनऊ की पॉश कॉलोनी में भी ये नजारा देखने को मिल जाएगा। नगर निगम के अरविंद राव पशु चिकित्साधिकारी का कहना है कि शहर में जो छुट्टे जानवर घूम रहे हैं, उनके लिए नगर निगम काम कर रहा है।
आगे जब भी ये गोशालाएं भर जायेंगी और गोशालाएं खुलवा दी जाएंगी, जिससे लोगों को दिक्कत न हो। बतादें कि लखनऊ में सात कांजी हाउस है, जिनमें से दो में काम चल रहा है। इन कांजी हाउस में 150 से अधिक पशु बंद हैं। नगर निगम द्वारा इसके लिए अभियान भी चलाया गया था। इस अभियान के तहत वर्ष 2016 में दो लाख रुपये से ज्यादा जुर्माना किया जा चुका है।