केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का 15 दिनों के भीतर घाटी का दूसरा दौरा और अवाम से बातचीत अनायास ही नहीं है। केंद्र के दूत के रूप में राजनाथ के मिशन कश्मीर का असल मकसद अलगाववादियों को अलग-थलग करना था।
कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत के नारे का दांव चलकर राजनाथ ने अलगाववादियों को घेरने की कोशिश की। इसी फार्मूले पर अटल सरकार में हुर्रियत से बातचीत की पहल शुरू हुई थी।
केंद्र सरकार का इस मामले में रुख बिल्कुल स्पष्ट है। वह कश्मीर हिंसा पर नरमी नहीं दिखाना चाहती है। अलगाववादियों तथा पत्थरबाजों से सख्ती से निबटे जाने का भी संकेत है।