राजस्थानी चिंकारे देखना है तो चलिए कानन
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में स्थित कानन पेंडारी (जूलॉजिकल गार्डन) में जल्द की राजस्थानी चिंकारे नजर आएंगे। इसके लिए सहमति बन चुकी है, इसके बदले में राजस्थान को कानन पेंडारी से एक जोड़ी भालू और एक नर लकड़बग्घा देने होंगे।
वहीं कानन में पिछले दिनों एक हॉग डियर (शूकर हिरण) ने एक नर शावक को जन्म दिया है। इसके जन्म के साथ ही अब हॉग डियर की संख्या भी आठ हो गई है।
कानन पेंडारी जू के रेंज ऑफिसर टी.आर. जायसवाल ने बताया कि अब कानन पेंडारी में पर्यटकों के लिए जल्द ही राजस्थानी चिंकारे आकर्षण का केंद्र होंगे। इसके बदले उन्हें एक जोड़ी भालू व एक नर लकड़बग्धा दिए जाएंगे।
कानन पेंडारी जू को मिली अनुमति
जायसवाल ने बताया कि पिछले गुरुवार को जोधपुर के माचिया बॉयोलॉजिकल पार्क प्रबंधन ने 2 नर व 4 मादा चिंकारा देने की सहमति दी है। जायसवाल ने बताया कि दोनों जूं के बीच आपसी सहमति से वन्यप्राणियों की अदली-बदली नहीं की जा सकती है, इसके लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की स्वीकृति जरूरी है। इसके लिए पत्र भेज दिया गया है।
जायसवाल ने बताया कि पिछले गुरुवार को ही हॉग डियर (शूकर हिरण) ने एक नर शावक को जन्म दिया है। इसकी इनकी संख्या अब बढ़कर आठ हो गई है।
गौरतलब है कि फरवरी माह में ही कानन पेंडारी जू में दुर्लभ प्रजाति के 4 मूषक हिरण (माउस डियर) हैदराबाद से लाए गए थे। मूषक हिरण बहुत कम वन क्षेत्रों में पाए जाते हैं। छग में ये गिनती के ही हैं।
भारत में पाए जाने वाले संकटग्रस्त 10 प्रजातियों में यह एक है। मूषक हिरण के बदले एक नर व दो मादा बार्किं ग डियर और एक नर घड़ियाल की मांग की गई थी। इसके बाद दोनों प्राधिकरण के बीच वन्य प्राणियों की अदला-बदली को लेकर एक समझौता हुआ था।
माउस डियर को मिलाकर अब कानन में हिरणों की 13 प्रजातियां हो गई हैं, जिसमें चीतल, कोटरी, काला हिरण, सफेद हिरण, चिंकारा, गोराल, शूकर हिरण, नीलगाय, सांभर, बारहसिंघा, मणिपुरी और माउस डियर शामिल हैं।