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राजस्थान के कोटा से विद्यार्थियों को लाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने भेजी बसें, बिहार के सीएम नीतीश ने उठाए सवाल

लखनऊ : देश में लॉकडाउन 3 मई 2020 तक लागू रहेगा। ऐसे में हर तरह का पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है। लेकिन इस बीच राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों को लाने के मामले में राजनीति शुरू हो गई है। दरअसल, यूपी सरकार ने छात्रों को लाने के लिए 100 से ज्यादा बसें भेज दीं। इसके बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि यह लॉकडाउन का उल्लंघन है साथ ही इससे दूसरे राज्यों की सरकारों पर दबाव बनेगा। वहीं घर पहुंचने की जल्दी में कोटा में छात्रों ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन भी किया है। अब इस पर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। राजस्थान के कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थियों को लॉकडाउन की अवधि में वहां से वापस लाना खतरे से खाली नहीं है। बिहार सरकार उन्हें अभी लौटाने के पक्ष में नहीं है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई बार यह कह चुके हैं कि इस तरह से सड़क मार्ग से लोगों के आने-जाने से लॉकडाउन का उद्देश्य बाधित होता है। यह कोरोना से मजबूत लड़ाई की भावना से खिलवाड़ है।

हालांकि, कोटा से हाल ही में बिहार के रहने वाले विद्यार्थी भी पटना पहुंचे हैं। कोटा के डीएम ने उन छात्रों को और उनके साथ कोटा में रह रहे कुछ अभिभावकों को सड़क मार्ग से बिहार आने के लिए वाहनों के पास जारी कर दिए थे। राज्य सरकार को निजी वाहनों को बिहार के लिए पास जारी करने की सूचना भी देर से मिली। सरकार ने कोटा जिला प्रशासन के इस फैसले का कड़ा विरोध करते हुए केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला को तीन दिन पहले पत्र भी लिखा है। मुख्य सचिव दीपक कुमार ने अपने पत्र में यह साफ कहा है कि इससे लॉकडाउन के अनुपालन की भावना को ठेस पहुंचती है। बिहार की नाराजगी को व्यक्त करने वाले मुख्य सचिव के पत्र में इस बात का भी जिक्र है कि पूर्व में नोएडा व गाजियाबाद से बड़ी संख्या में प्रवासी बिहारी कामगारों को यहां बसों में भरकर भेज दिया गया। वैसे कोटा से लौटे विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को क्वारंटाइन किया गया है।

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