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राजस्थान में 84 गांव बने श्मशान, वजह एक लड़की की खूबसूरती

l-news429969060एजेंसी/ एक लड़की की सुन्दरता क्या कर सकती है, इसका अंदाज शायद ही आपको होगा. हम आपको आज एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां एक लड़की की सुंदरता ने न केवल उसके परिवार को बल्कि 84 गांव को रातों रात उजाड़ दिया था. आपको सुनकर जरूर आश्चर्य हो रहा होगा लेकिन ये सच है

कलधारा राजस्थान के जैसलमेर शहर से 25 किमी की दूरी पर स्थित एक प्रसिद्ध गांव है, जिसे अब एक डरावना गांव माना जाता है. ये ब्राह्मणों का गांव था, जहां की एक सुंदर लड़की पर वहां के एक शख्स की नजर पड़ी तो देखते ही देखते सब कुछ उजड़ गया. 

ये गांव शापित माना जाता है. भानगढ़ के किले की तरह यह गांव भी अचानक ही एक रात में वीरान हो गया था. उसके बाद से इस गांव में कोई भी बस नहीं पाया. 

इस गांव के वीराने में भी भानगढ़ के किले की तरह एक खूबसूरत लड़की की दास्तान छुपी हुई है. माना जाता है कि 1825 के आसपास कुलधारा पालीवाल ब्राह्मणों का गांव हुआ करता था. पालीवाल ब्राह्मणों के पूर्वजों का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि पालीवाल ब्राह्मण इनके पुरोहित हुआ करते थे. लेकिन यह घटना तब की है, जब पालीवाल किसान हुआ करते थे. ये कृषि के अलावा भवन निर्माण कला में निपुण थे. राज्य के दूसरे गांवों से यह गांव खुशहाल और संपन्न हुआ करता था. 

कहा जाता है कि कुलधारा गांव के मुखिया की 18 वर्ष की बहुत ही सुन्दर कन्या थी. एक दिन गांव के दौरे के दौरान रियासत के मंत्री सलीम सिंह की नजर उस लड़की पर पड़ी. उसने मुखिया से मिलकर उससे विवाह करने की इच्छा जाहिर की, परन्तु मुखिया ने इसे ठुकरा दिया. 

इस पर सलीम सिंह ने गांव पर भारी टैक्स लगाने और गांव बर्बाद करने की चेतावनी दी. इस घटना से क्रोधित कुलधारा तथा आसपास के 83 गांवों के निवासियों ने लड़की का सम्मान बचाने के लिए इस जगह को हमेशा के लिए छोड़ने का निश्चय किया. उन्होंने उसी रात को अपने पूरे घर-परिवार और सामान सहित गांव छोड़ दिया और कहीं चले गए. उन्हें जाते हुए न तो किसी ने देखा और न ही किसी को पता चला कि वे सब कहां गए.

यह भी कहा जाता है कि उन्होंने जाते समय गांव को श्राप दिया कि उनके जाने के बाद कुलधारा में कोई नहीं बस सकेगा. अगर किसी ने ऐसा दुस्साहस किया तो उसकी मृत्यु हो जाएगी. तब से यह गांव आज तक इसी तरह सुनसान और वीरान पड़ा हुआ है. हालांकि किसी जमाने में शानदार हवेलियों के लिए मशहूर कुलधारा में अब सिर्फ खंडहर ही बचे हैं, लेकिन यहां जाकर रहने की किसी को इजाजत नहीं है.

इतना ही नहीं, यहां पर्यटकों को सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही जाने की अनुमति है. 200 वर्ष पुराने मिट्टी के घरों को यहां देखा जा सकता है. इतिहास के अनुसार, इस गांव में लगभग 500 वर्षों के लिए पालीवाल ब्राह्मण बसे थे. यहां के क्रूर शासकों द्वारा उन्हें इस गांव को छोड़ने पर मजबूर किया गया. इसलिए लोगों का मानना है कि इस गांव को पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा शाप दिया गया था.

 

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