राजस्थान एम्बुलेंस घोटाला: ईडी ने 11.57 करोड़ की संपत्ति अटैच की
इसके बाद वर्ष 2015 में पुलिस ने मामले की फाइल सीबी सीआईडी को सौंपी दी थी। जोशी ने एफआईआर में आरोप लगाया था कि 108 एम्बुलेंस सेवा के संचालन का ठेका जिगित्जा कंपनी को वर्ष 2011 में दे दिया था। कंपनी की 691 एम्बुलेंस में से मात्र 134 एंबुलेंस ही मरीजों की सेवा में थीं, जबकि 227 एंबुलेंस बेकार थीं। पूरे प्रदेश में जिगित्जा कंपनी को एंबुलेंस का रखरखाव दे दिया था। बिना उपयोग के ही फर्जी तौर पर भुगतान किया गया। 55 हजार चक्कर बताए गए जबकि वास्तव में 37 हजार चक्कर हुए।
फर्जी चक्करों के दो करोड़ 56 लाख रुपये का भुगतान दिखाया गया। इसके अलावा फर्जी ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के बिल, ब्यूलेंस, इमरजेंसी बार सिस्टम मॉडल, छह बोल्ट बैट्री आदि का एक करोड़ 19 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। इससे पूर्व तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाब नवी आजाद ने भी एक पत्र लिखकर स्वीकार किया था कि 108 एंबुलेंस के ठेके में कंपनी ने गड़बड़ी है और इसकी जांच की जानी चाहिए।
सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर ही ईडी ने भी इस कंपनी और इसके निदेशकों के खिलाफ वर्ष 2015 में ही काले धन को सफेद बनाने से बचाव के कानून -पीएमएलए- के तहत मामला दर्ज किया था। ईडी के मुताबिक राजस्थान के एंबुलेंस खरीद के मामले में कुछ गड़बड़ियां मिली थीं। सीबीआई ने कहा था कि जिन लोगों पर केस दर्ज किया गया है उन सभी को धोखेबाजी और जालसाजी में लिप्तता के संकेत हैं। इस मामले में प्रारंभिक जांच के बाद यह कार्रवाई की गई है। इस मामले में आगे की जांच जारी है।