लखनऊ: राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी नहीं होगी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आज दिए अपने फैसले में कहा कि राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी नहीं होने का आदेश दिया। आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी. सदाशिवम ने राजीव गांधी के हत्यारों का मामला संवैधानिक बेंच को सौंप दिया था। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू, जस्टिस इब्राहिम कालिफुल्ला, पिंकी घोष, ए एम सेपरे और यू यू ललित की संवैधानिक पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इस आदेश को किसी पूर्व आदेश से जोड़कर नहीं देखना चाहिए। ये मामला राजीव गांधी के हत्यारों मरुगन, पेरारीवलन और संथन की समय से पहले रिहाई का है। तमिलनाडु सरकार ने तीनों को समय से पहले रिहा करने का आदेश दिया था।
कब-क्या हुआ?
21 मई 1991 को तमिलनाडू के पैरंबदूर में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मानव बम से हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड के 26 दोषियों को सबसे पहले 1998 में फांसी की सजा मिली। 2000 में इस सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी। इसके बाद संथन, मुरुगन और पेरारिवलन ने राष्ट्रपति को दया याचिका भेजी, जिसे 2011 में खारिज कर दिया गया और तीनों हत्यारों को फांसी पर चढ़ाने की तैयारी होने लगी, लेकिन तब मद्रास हाईकोर्ट ने इनकी फांसी की सजा पर रोक लगा दी और इसके बाद मामला फिर सुप्रीम कोर्ट में आ गया था।