लखनऊ। 12वें राष्ट्रीय पुस्तक मेले के उद्घाटन के अवसर पर राज्यपाल राम नाईक ने पुस्तकों का महत्व समझाते हुए कहा कि जो वाचिल, तो वाचिल (जो पढ़ेगा वहीं बचेगा)। राज्यपाल ने कहा कि परिवर्तन ओर सूचना क्रांति के युग में पुस्तकों का महत्व बढ़ा है। किताबों व प्रकाशकों के सामने टीवी, इंटरनेट और कंप्यूटर की स्पर्धा से इंकार नहीं किया जा सकता लेकिन हाथ में लेकर किताब पढ़ने का मजा है वो कंप्यूटर की कुर्सी में बैठकर पढ़ने में नहीं है। विशिष्ट अतिथि मेयर डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा, पुस्तकें जीवन को गति प्रदान करती हैं। पुस्तकें जीवन जीने का राह भी दिखाती है। इंटरनेट साहित्य के प्रति अनुराग नहीं पैदा कर सकता है। किताबों का महत्व कभी खत्म नहीं होगा। युवाओं को सर्वांगीण विकास के लिये किताबें पढ़नी चाहिए। किताबों का संग्रह व्यक्ति के व्यक्तित्व को दर्शाता है। आयोजक उमेश ढल ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि विद्यार्थियों को पुस्तकों के प्रति लगाव पैदा करने के मकसद से शाहर भर के अनेक स्कूलों को मेले में आमंत्रित किया गया है। समारोह में भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी दुखबन्धु रथ, राजकुमार छाबड़ा, आरके मित्तल आदि अनेक साहित्यकार-कवि व पुस्तकप्रेमी उपस्थित थे। 10 दिन चलने वाले किताबों के इस मेले में पुस्तक प्रेमियों को हर खरीद पर न्यूनतम 10 प्रतिषत की छूट मिलेगी। कल से पुस्तक मेले में तैयार दोनों मंचों पर आयोजनों और बाल प्रतियोगिताओं का दौर प्रारम्भ हो जाएगा।