राज्यपाल राम नाईक का आजम पर तगड़ा पलटवार, योग्यता पर उठाए सवाल
सदन में आजम खां का वक्तव्य उनके संसदीय कार्य मंत्री की इस योग्यता पर प्रश्न चिह्न के समान है कि क्या वह इस कार्य के योग्य हैं? नाईक का कहना है कि वह इस विषय पर मुख्यमंत्री से बात करेंगे। यही नहीं राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की टिप्पणी को भी गंभीर मानते हुए उन्हें वार्ता के लिए राजभवन बुलाया है।
गौरतलब है कि विधानसभा में आठ मार्च को मेयरों को हटाने संबंधी विधेयक को रोके रखने से नाराज आजम ने राज्यपाल पर तल्ख टिप्पणियां की थीं। राज्यपाल ने नौ मार्च को विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर विधानसभा में अपने ऊपर की गई टिप्पणी की असंपादित व संपादित मुद्रित प्रति और ऑडियो-वीडियो सीडी मांगी थी।
विधानसभा अध्यक्ष की ओर से 15 मार्च को राज्यपाल को सारी जानकारी भेज दी गई थी। इसका अध्ययन व परीक्षण करने के बाद नाईक ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष को भेजे गए पत्र में आजम की योग्यता पर ही सवालिया निशान लगाते हुए कहा है कि इस बाबत उन्हें मुख्यमंत्री से भी बात करनी पड़ेगी। राज्यपाल ने अपने पत्र की प्रति मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भी भेजी है।
संपादित प्रति में से 20 पंक्तियां हटा दी गई हैं। सदन की कार्यवाही से संसदीय कार्य मंत्री के वक्तव्य के 33 फीसदी हिस्से को हटाया जाने से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या वह इस कार्य के योग्य हैं।
आहत हैं राज्यपाल
राज्यपाल ने पत्र में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदन में की गई टिप्पणी (लेकिन यह भी है कि जनहित के बिलों पर उन्हें गंभीरता से सोचना चाहिए) का उल्लेख करते हुए कहा है कि मेरे लंबे राजनीतिक जीवन से एवं राज्यपाल पद के कार्यकाल की अवधि से आप भलीभांति अवगत होंगे कि मैं किस प्रकार जनहित से जुड़े मुद्दों के प्रति संवेदनशील रहा हूं। इस संबंध में आप से भेंट के दौरान चर्चा का इच्छुक हूं।
राजभवन के सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा की गई टिप्पणी को उचित नहीं माना है और वह इससे काफी आहत हैं। राज्यपाल के बिल रोकने के अधिकार की पुष्टि के लिए नाईक ने विधानसभा अध्यक्ष का आभार व्यक्त करते हुए पत्र में कहा है कि कार्यवाही में आप द्वारा आजम खां की भावनाओं को मुझ तक व्यक्तिगत रूप से पहुंचाने का जिक्र है, जिसका वह स्वागत करते हैं। इस संबंध में वह अपनी सुविधानुसार यथाशीघ्र उनसे भेंट कर सकते हैं।