स्वास्थ्य

रात भर लेते हैं खर्राटे तो न करें नजरअंदाज, तुरंत डॉक्टर से लें सलाह…

हमारी रहन-सहन, खानपान की गलत आदतें हममें हृदय रोग का खतरा बढ़ा रही हैं। इसका एक प्रमुख कारण खर्राटे यानी स्लीप एप्निया भी है। चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्र प्रसाद बताते हैं कि सोते वक्त सांस लेने के साथ जब तेज आवाज और वाइब्रेशन होती है तो उसे खर्राटे कहते हैं। खर्राटे सांस अंदर लेते समय आते हैं। नाक या मुंह किसी से भी खर्राटे की आवाज आ सकती है। इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है।

कई बार खर्राटों की आवाज हल्की होती है और कई बार तेज। अगर खर्राटों का इलाज सही समय पर न हो तो स्लीप एप्निया हो सकता है। यह एक सामान्य विकार है, जिसमें नींद के दौरान सांस में एक या कई अवरोध होते हैं या सांसें उथली हो जाती हैं। यह लंबे समय तक चलता है, जिससे नींद में खलल पड़ता है। कई बार ऐसा होता है कि नींद सही प्रकार से न हो तो खर्राटे आ सकते हैं।

हो जाएं सावधान
दिन में ज्यादा नींद आना, सुबह सिर में दर्द होना, सोने के दौरान नाक से आवाज आना, हाई ब्लडप्रेशर, नींद में बेचैनी, रात के समय छाती में दर्द, रात में सोते समय दम घुटना या हांफना।

छोटी-छोटी कोशिशों से बचें परेशानी से
मोटापा कम करें, नशीली चीजों का सेवन न करें। नींद पूरी लें, धूम्रपान न करें, नाक से सांस लेने में कोई परेशानी हो या किसी तरह की रुकावट हो तो इलाज करवाएं, जितना जरूरी हो उतना व्यायाम अवश्य करें। नोजल स्ट्रिप का प्रयोग करें।

ये उपाय भी जरूरी हैं
मन को शांत रखें। रात को सोते समय मन को शांत व मस्तिष्क को बाहरी विचारों मुक्त रखें। शरीर में पानी की कमी से भी खर्राटे आते हैं, जब शरीर में पानी की कमी होती है तो नाक के रास्ते की नमी सूख जाती है। इस दौरान खर्राटे आने लगते हैं। करवट के बल सोने की कोशिश करें। खाने में नमक का सेेवन कम करें। शरीर को पूर्ण आराम दें। रात को भोजन की मात्रा कम रखें।

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