रामगंगा नदी के किनारों तक धड़ल्ले से हो रही अवैध प्लाटिंग, जिम्मेदार मौन
मुरादाबाद : जिले में रामगंगा नदी की धारा के नजदीक तक जाकर कब्जा कर प्लाटिंग की जा रही है। इसके चलते नदी लगातार सिमटती जा रही है। नदी के किनारों पर आवास बनने और महानगर के नाले नदी में गिरने के कारण नदी भी नाले में तब्दील होती जा रही है। प्रशासन की ओर से आंखें मूंद लेने के के कारण भू माफिया लगातार नदी में प्लाटिंग करते जा रहे हैं। जबकि नदी में प्लाटिंग किए जाने की लगातार शिकायतें हो रही हैं। मुरादाबाद जनपद की सीमा में रामगंगा करीब 73 किमी की दूरी तय करती है। कांठ तहसील से मुरादाबाद शहर में आने के बाद नदी का स्वरूप घटने लगता है। शहर की ओर का नदी का विशालकाय किनारा अचानक से गायब होने लगते हैं। जिगर कालोनी तक पहुंचते के बाद घर दिखाई देने लगते हैं और वहां से जामा मस्जिद पुल तक नदी नाले के तब्दील होती दिखाई देती है। साल की शुरुआत में शिकायत मिलने के बाद प्रशासन ने नदी किनारे का अतिक्रमण हटवाया था। एक दिन अभियान चलाने के दौरान कई अवैध निर्माण ढहा दिए गए थे। कार्रवाई के दौरान ही नगर निगम और मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के अधिकारी नक्शे को लेकर आपस में उलझते नजर आए थे। इसके बाद पूरी पैमाइश के बाद फिर से कार्रवाई करने की बात कहकर अभियान बंद कर दिया गया। इसके बाद अभियान ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शहर के नजदीक से गुजरते समय नदी का करीब आठ किमी के दायरे में नदी का अस्तित्व खतरे में है।
नवाबपुरा से लालबाग के बीच पहले ई-कचरे की राख के टीले बना दिए गए थे। इससे नदी में धातुओं के कण के साथ विषैले पदार्थ जैसे आर्सेनिक, कोबाल्ट, लैड और सिलिकन मिलने लगे थे। यह मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण में भी पहुंचा था। इसके बाद अधिकरण ने तत्कालीन जिलाधिकारी पर जुर्माना लगाते हुए ई-कचरे की राख हटवाने के आदेश दिए थे। इसके बाद वर्ष 2019 में नदी किनारे ट्रैक्टर ट्राली लगाकर महीनों में राख हटाकर ट्रचिंग ग्राउंड में पहुंचाई गई। वहीं प्रशासन के पास जो नक्शा है, उसके अनुसार नदी अब पूरी तरह से बदल चुकी है। इस नक्शे के आधार पर प्रशासन फिर से पैमाइश कराने जा रहा है। लेकिन, जो नक्शे में दिखाई दे रहा है, वहां नदी है ही नहीं।
नदी की जमीन पर रिहाइश दिखाई दे रही है। नदी के नक्शे का अगर पालन होता है तो एक दो दर्जन नहीं बल्कि सैकड़ों मकान तोड़ने पड़ेंगे। यहां केवल मकान ही नहीं, पीतल की भटि्ठयां भी स्थापित हो चुकी हैं। इससे उन भट्ठियों ने से निकलने वाला दूषित पानी नदी को जहरीला बना रहा है। गर्मियों में जल स्तर घटने पर नदी में आक्सीजन का स्तर भी न्यूनतम पहुंचने के कारण मछलियां मरकर सतह पर तैरती दिखाई देती हैं। शहर के चप्पे-चप्पे पर नजर रखकर नोटिस का खेल खेलने वाले कर्मचारी नदी के किनारों पर कब्जे को देखकर खामोश बैठ जाते हैं। वहीं एसडीएम सदर प्रशांत तिवारी ने कहा कि नदी के किनारों पर अतिक्रमण की शिकायत मिलने पर निरीक्षण किया था। ब्लाक प्रमुख का चुनाव होने के बाद इसका सर्वे कराकर पैमाइश कराकर आगे की कार्रवाई की जाएगी। उधर, मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह ने कहा कि नदी हमारी संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा है। उनका बचाव करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। नदी के किनारों को बचाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए जिला प्रशासन को आदेश दिया गया है।