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रामनरेश यादव: राज्यपाल रहते हुए दर्ज हुई थी व्यापम घोटाले में FIR

800x480_image60538980नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे रामनरेश यादव का विवादों से नाता रहा। राज्यपाल रहते हुए उनके खिलाफ 24 फरवरी 2015 को व्यापम घोटाले में एफआईआर दर्ज की गई थी।

सोशलिस्ट नेता राज नारायण के करीबी रहे यादव ने पहली बार 1977 में आजमगढ़ सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में एंट्री की थी। हालांकि उनका व्यक्तित्व ज्यादा बड़े नेता का नहीं रहा।

हासिल नहीं कर पाए थे विश्वास मत
23 जून 1977 को जनता पार्टी की सरकार में उन्हें उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया। वह फरवरी 1979 तक इस पद पर रहे। 25 फरवरी 1979 को विधानसभा में विश्वास मत खोने के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा और उनकी जगह बनारसी दास को मुख्यमंत्री चुना गया।

2004 में हारे थे चुनाव
2004 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने आजमगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन बीएसपी के रमाकांत यादव ने उन्हें हरा दिया।

यूपीए सरकार में बने थे राज्यपाल
26 अगस्त 2011 को उन्हें मध्य प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। उन्हें यूपीए सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने राज्यपाल नियुक्त किया।

एसटीएफ ने दर्ज किया था केस
24 फरवरी 2015 को स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने व्यापम घोटाले में उनका नाम आने के बाद एफआईआर दर्ज की। तब वह एमपी के राज्यपाल थे। उन पर फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में हेराफेरी का आरोप लगा था। उनके खिलाफ आईटी एक्ट और भ्रष्टाचार निषेध कानून के तहत केस दर्ज किया गया था।

हाई कोर्ट ने दिया था FIR का आदेश
एसटीएफ को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि वह राज्यपाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच करे। आदेश के खिलाफ यादव ने हाईकोर्ट में अपने पद और प्रोटोकाल की दुहाई भी दी थी। तब एसटीएफ के प्रमुख ने कहा था कि सितंबर 2016 में उनके रिटायरमेंट के बाद एक्शन लिया जाएगा।

घोटाले में आया था बेटे का भी नाम
इसके पहले 2013 में एसटीएफ ने उनके ओएसडी धनराज यादव को घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यही नहीं, उनके बेटे शैलेश यादव का नाम भी घोटाले में आया था। 2015 में उनके बेटे की लखनऊ स्थित आवास में संदिग्ध मौत हो गई थी। मौत का कारण ब्रेन हैमरेज बताया गया।

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