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राम मंदिर के लिए इन्होने किया था बड़ा आंदोलन, देह त्यागने को थे तैयार

एक संत ऐसे भी थे जो राम मंदिर के लिए देह त्यागने तक को तैयार थे। गत 25 जून को ब्रह्मलीन हुए भारत माता मंदिर के संस्थापक पद्मभूषण शंकराचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी ने संत समाज को साथ लेकर राम मंदिर के लिए आंदोलन खड़ा कर दिया था।

साल 2018 में ही स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण न होने पर देह त्याग करने का एलान किया था। उन्होंने तो यह तक कह दिया था कि अगर छह दिसंबर से राम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ तो वे आमरण अनशन करेंगे। उनके राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर हरकी पैड़ी पर आमरण अनशन शुरू करने की चेतावनी से दिल्ली तक खलबली मच गई थी।

बड़े-बड़े नेताओं से लेकर संत समाज तक में इसे लेकर हलचल थी। सरकार के साथ ही कई संतों ने उन्हें हरिद्वार पहुंचकर आमरण अनशन न करने के लिए मनाने का भरसक प्रयास किया था। उनका कहना था कि जिस तरह से स्वतंत्रता आंदोलन महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के बनाए गए सभी कानून तोड़कर चलाया था, अब इसी तरह राम मंदिर के लिए आंदोलन चलाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि आजादी तब मिली थी, जब सरदार भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां को फांसी दी गई, लेकिन वह हिंसा में विश्वास नहीं रखते हैं। जिस पर उन्होंने अपना अनशन टाल दिया था। आध्यात्म के प्रचार प्रसार के लिए उनकी सेवाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

उन्होंने तो यह तक कह दिया था कि अगर मुस्लिम पक्ष मंदिर के लिए बड़प्पन दिखाएगा तो मस्जिद बनवाने की जिम्मेदारी मेरी है। इसके लिए जो सामग्री की आवश्यकता होगी वे भारत माता मंदिर की तरफ से उपलब्ध कराएंगे लेकिन उनके ब्रह्मलीन होने के साथ ही उनकी ये इच्छा भी अधूरी रह गई।

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