राम मंदिर निर्माण को लेकर 5 अक्टूबर से फिर शुरू होगा आंदोलन
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक बार फिर से आंदोलन शुरू हो सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इसके लिए विश्व हिंदू परिषद दिल्ली में 5 अक्टूबर को एक बैठक का आयोजन कर सकती है। इस बैठक में देशभर के 36 प्रमुख संतों को आमंत्रित किया गया है।
हालांकि अभी अयोध्या विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर मंदिर निर्माण का मुद्दा चर्चा में है। अभी कुछ दिन पहले ही आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर के निर्माण में कानूनी अड़चन के कारण हो रही देरी को एक तरफ रखते हुए कहा था कि सामान्य जनता इसके लिए धैर्य नहीं रख सकेगी, इसलिए अयोध्या में जल्द से जल्द मंदिर का निर्माण होना चाहिए।
उन्होंने कहा था कि अगर समाज के सभी लोग सत्य को समझना चाहें और उसे स्वीकार करने के लिए तैयार हों तो किसी भी मुद्दे पर हिंसा का त्याग करते हुए एक शांतिपूर्ण हल प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन, राम मंदिर जैसे गंभीर विषय पर इस तरह के तर्क देना कि राम यहां पैदा ही नहीं हुए, आपसी सामंजस्य को तोड़ता है और इससे टकराव का रास्ता तैयार हो जाता है। इससे बचना चाहिए।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक पत्रकार की किताब के विमोचन के मौके पर कहा था कि इस पूरे विवाद में इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि अयोध्या में राम मंदिर ध्वस्त हुआ है। जब हम इसपर बातचीत करेंगे तो आप उस घटना से मुंह नहीं मोड़ सकते हैं जो 600 साल पहले घटी थी।’
राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास जी महाराज ने दो टूक कहा है कि केंद्र सरकार का कार्यकाल पूरा होने से पहले अगर राम मंदिर नहीं बना तो भाजपा तथा मोदी दोनों को नुकसान उठाना पड़ेगा। जनता ने शासन के साथ-साथ राम मंदिर के लिए भाजपा को केंद्र व प्रदेश में सत्ता सौंपी। इसलिए सरकार को जनता और धर्माचार्यों की भावनाओं को देखते हुए अतिशीघ्र राम का भव्य मंदिर बनवाना चाहिए।
नृत्यगोपाल दास ने कहा कि केंद्र में मोदी की सरकार बहुमत में है। प्रांत में योगी की सरकार बहुमत में है। सारी जनता ने मोदी-योगी को राम जन्मभूमि के मंदिर निर्माण के लिए भेजा है। इसलिए दोनों सरकारों को मिलकर राम मंदिर का निर्माण अविलंब प्रारंभ कर देना चाहिए। नहीं तो मोदी व भाजपा के लिए आगामी चुनाव घातक हो सकते हैं।