राम मंदिर पर आंदोलन की तैयारी तेज
प्रयागराज : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का अनुषांगिक संगठन विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) ने राम मंदिर आंदोलन को गति देने की तैयारी में है। कुम्भ मेला में लगे कैम्प में ही कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर इसे परवान चढ़ाने की कोशिश कर रही है। इसका खाका भी तैयार हो चुका है। देश भर के विभिन्न प्रान्तों से कुम्भ बुलाये गए कार्यकर्ताओं को दो दिनों तक दायित्व निर्वहन और सामान्य लोगों को मंदिर निर्माण में सहयोग के लिए तैयार करने के गुर बताये जाएंगे। इतना ही नहीं, गांवों से निकलने वाले लोगों में जत्थे को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रवाना करने की तैयारी है। विहिप के कार्यकारी उपाध्यक्ष चम्पत राय इन कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के स्थल का दौरा कर चुके हैं। इनके ठहरने और खाने पीने के पुख्ता प्रबंध की जानकारियां जुटा चुके चम्पत राय की नजर हर छोटी-बड़ी गतिविधि पर रहेगी। बताया जा रहा है कि प्रशिक्षण लेने वाले कार्यकर्ताओं को सामान्य लोगों को इकट्ठा करने के साथ समन्वित भाव से काम करने और लेने के तरीके बताए जाएंगे। उन्हें मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या तक लोगों को पहुंचाने में आने वाली कठिनाइयों से पार पाना और उन्हें सुरक्षित व तेजी से मुकाम तक पहुंचने के गुर बताए जाएंगे। हालांकि, 18-19 जनवरी, 06-07 फरवरी, 20-25 जनवरी और 13-15 फरवरी को प्रशिक्षित करने की मुकर्रर तिथियों को होने वाले प्रशिक्षण को कार्यकर्ता सम्मेलन का नाम दिया गया है, फिर भी इस पर खुसुर-फुसुर जारी है। प्रयागराज के आसपास के 50 जिलों के 2000 कार्यकर्त्ताओं को 06-07 फरवरी को कुम्भ बुलाया जा रहा है तो 20 से 25 जनवरी तक देश मे 250 चुनिंदा नौजवानों को प्रशिक्षण कर आंदोलन को गति दी जाएगी।
कार्यकर्त्ताओं की इतनी बड़ी फौज का एक साथ कुछ ही दिनों के अंतराल पर प्रशिक्षित होना भी राम मंदिर निर्माण आंदोलन को तेज करने की गवाही दी जा रही है। छोटे बच्चों को वेदकंठस्थ कराकर उस स्थानों लार भेजा जाएगा, जहां से लोगों का जत्था अयोध्या कूच करेगा। वहां इन बटुकों द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच इन्हें रवाना किया जाएगा। इतना ही नहीं, 5000 वनवासियों को कुम्भ दर्शन करवाने में बहाने राम मंदिर आंदोलन से जोड़ने की तैयारी भी पूरी कर ली गई है। इसमें आरएसएस का अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम का सहयोग लिया जा रहा है। चम्पत राय ने प्रेसवार्ता के दौरान पूछे गए एक सवाल के दौरान राम मंदिर आंदोलन कभी बन्द नहीं हुआ था, कहकर इसको बल दे गए थे। इसके बाद से कयासबाजी का दौर तेज है।