रावण को अधर्म और बुराइयों का प्रतीक माना जाता है। रावण जन्म से ब्राह्मण था और वह सभी शास्त्रों का जानकार था। ज्योतिष और पूजा-पाठ के सभी नियमों की भी जानकारी उसे थी। इन अच्छी बातों के अलावा रावण में बुराइयां काफी अधिक थीं। बुराइयों के कारण ही उसकी सभी अच्छाइयों का महत्व खत्म हो गया। रावण ने कई ऐसे गलत काम किए थे, जिनसे किसी भी व्यक्ति का जीवन बर्बाद हो सकता है। यहां जानिए रावण की गलतियां, इन गलतियों से आज भी सभी को बचना चाहिए…
1. सही सलाह न मानना
रावण की एक गलती ये थी कि वह कभी भी सही सलाह नहीं मानता था। मंदोदरी, विभीषण, माल्यवंत, कुंभकर्ण, हनुमान आदि ने रावण को सलाह दी थी कि वह श्रीराम से शत्रुता न करें और सीता को पुन: लौटा दे, लेकिन रावण ने ये बात नहीं मानी। इस गलती के कारण रावण का अंत हुआ।
इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जब भी हमें सही सलाह मिले तो उसे तुरंत मान लेना चाहिए।
नहीं करना
रावण स्त्रियों का सम्मान नहीं करता था, उन्हें सिर्फ भोग-विलास की वस्तु समझता था। रावण ने कई स्त्रियों के साथ बल प्रयोग किया। रावण ने जब अप्सरा रंभा को देखा तो वह रंभा की सुंदरता पर मोहित हो गया। रावण ने रंभा के साथ अपने बल का प्रयोग किया। जब रंभा ने नलकुबेर को यह बात बताई तो नलकुबेर ने रावण को शाप दिया था कि रावण जब किसी भी स्त्री की इच्छा के बिना उसे स्पर्श करेगा या अपने में महल में रखेगा तो वह भस्म हो जाएगा। इस कारण रावण ने सीता को अपने महल में नहीं, बल्कि अशोक वाटिका में रखा था। नलकुबेर रावण के भाई कुबेर देव का पुत्र था।
जो लोग स्त्रियों का सम्मान नहीं करते हैं, उन्हें दुखों का सामना करना पड़ता है। इस एक बुराई के कारण दूसरी सभी अच्छाइयों का महत्व खत्म हो जाता है।
3. घमंड करना
रावण को अपनी शक्तियों पर इतना अधिक भरोसा था कि वो बिना सोचे-समझे ही किसी को भी युद्ध के लिए ललकार देता था। इस आदत के कारण उसे कई बार युद्ध में हार का मुंह भी देखना पड़ा। शास्त्रों के अनुसार रावण को भगवान शिव, सहस्त्रबाहु अर्जुन, बालि और राजा बलि ने युद्ध में बुरी तरह हराया था। शक्तियों के घमंड के कारण ही रावण ने सीता का भी हरण किया और श्रीराम से युद्ध करने के लिए तैयार गया। रावण घमंड के कारण ही श्रीराम को साधारण शत्रु समझ रहा था, लेकिन श्रीराम ने उसका वध कर दिया।
खुद की शक्ति पर विश्वास होना अच्छी बात है, लेकिन शत्रु को कभी भी छोटा नहीं समझना चाहिए।
4. सिर्फ खुद की तारीफ सुनना
रावण की यह भी एक बुरी आदत थी कि वह सिर्फ खुद की तारीफ ही सुनता था। रावण के सामने जो भी उसके शत्रु की प्रशंसा करता था वह उसे दंड देता था। रावण की प्रशंसा न करते हुए, उसकी गलतियां बताने वालों को भी वह पसंद नहीं करता था। इसी कारण रावण ने भाई विभीषण, नाना माल्यवंत, मंत्री शुक को अपने से दूर कर दिया था। रावण हमेशा ही चापलूसों से घिरा रहता था।
जो लोग चापलूसों से घिरे रहते हैं और सच बोलने वालों को नापसंद करते हैं, वे कई बार परेशानियों का सामना करते हैं। हमें चापलूसों से बचना चाहिए।