राष्ट्रपति और पीएम को पत्र लिख किसान मांग रहे सामूहिक आत्महत्या की अनुमति, जानिए कारण
शाहबाद से जयपुर हाईवे को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहीत जमीन का उचित मुआवजा देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने अब राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर सामूहिक आत्महत्या की अनुमति मांगी है। किसानों का कहना है कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है। इस मामले में किसानों का प्रतिनिधिमंडल डीसी डॉ, आदित्य दहिया से भी मिला। किसानों का कहना है कि बैठक में डीसी द्वारा नए मार्केट मूल्य को लेकर कोई घोषणा नहीं की। न्याय की उम्मीद लगाए बैठे किसानों ने अब परेशान होकर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति को सामूहिक आत्महत्या की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र लिखा है। किसान नेता रमेश दलाल के अनुसार किसान पिछले पांच महीने से सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं।
12 जून को किसानों व सरकार के बीच उच्च स्तरीय बैठक में इस बात पर सहमति बन गई थी कि किसानों को उचित मुआवजा देने के लिए संशोधन किया जा सकता है। अवार्ड में संशोधन व नए मार्केट मूल्य तय करने के लिए डीसी ने बुधवार को मीटिंग बुलाई है। मीटिंग में नए मार्केट मूल्य की घोषणा नहीं की गई।
रमेश दलाल ने बताया कि किसानों को इस बात का डर है कि अधिकारी इस मामले में अपनी गलतियों को छुपाने के लिए किसानों के साथ न्याय नहीं करेंगे तथा नए संशोधित अवार्ड में भी किसानों को उनकी जमीन का मार्केट मूल्य के हिसाब से मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
अब किसानों के सब्र का बांध टूट चुका इसलिए वह सामूहिक आत्महत्या की अनुमति मांग रहे हैं। किसानों ने अपने पत्र में राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री को लिखा है कि आत्महत्या के अलावा हमारे पास दूसरा और कोई रास्ता नहीं बचा है। कानून हमारे पक्ष में होने के बावजूद हम पिछले पांच महीने से सड़क पर बैठे हैं।
हम अपना अधिकार मांगते हैं तो सरकार अनसुना कर देती है। कानूनी अधिकार के लिए इन सरकारी अधिकारियों से भिड़ने की अब और ऊर्जा नहीं बची है। अधिकारियों के अहंकार के सामने हम हार गए लेकिन यह अकेली हमारी हार नहीं है यह देश के संविधान की हार है। निवेदन है कि हमें सामूहिक रूप से आत्महत्या की अनुमति दी जाए।
किसानों की मांग सरकार तक भेजी जा चुकी है। सरकार ने अवार्ड संशोधन की बात मानी है। इस मामले में एक सप्ताह में कोई फैसला आने की संभावना है। किसानों को चाहिए कि वे कानून व्यवस्था बना कर रखें। -डॉ. आदित्य दहिया, डीसी।