राष्ट्रपति जिनपिंग से डर रहे हैं चीन के लोग, याद आ रही है माओ की तानाशाही
दबी जुबान में ही सही लेकिन चीन में अब इस बात पर विरोध शुरू हो गया है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने आजीवन कार्यकाल के लिए वही कदम उठा रहे हैं जो कभी माओ जेदोंग और डेंग जियाओपिंग ने उठाया था। यह तानाशाही की वो रवायत है जिसे शासन चलाने के लिए लोकतंत्र से बिल्कुल उलट रखा गया है। वैसे तो चीन का इतिहास गवाह है कि यहां के लोगों ने क्या-क्या सहा है लेकिन 21वीं सदी में एक बार फिर चीन अपने पुराने ढर्रे पर लौटता दिखे तो लोगों का डरना भी स्वभाविक ही है। नतीजतन चीन में ऐसा राजनीतिक माहौल बन रहा है जिसमें लोगों के अंदर डर और भ्रम साफ-साफ दिखाई दे रहा है।
चीन के बदलते परिवेश को देखते हुए प्रसिद्ध चीनी लेखक तो मा ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी ऐसी ही चिंता जाहिर की है। वहीं देश के भीतर भी लोगों को सरकार का यह कदम डरा रहा है। महिला दिवस के मौके पर तो चीनी स्कूलों में इस पर भारी विरोध भी दिखा। बता दें कि चीन में लोकतंत्र नहीं है लेकिन जिस तरह से चीन में राष्ट्रपति ने अपने अजीवन कार्यकाल की बात सामने रखी है उसने फिर एक बार माओ के चीन की याद तो दिला ही दी है।
इससे पहले खबर थी कि चीन ने राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए दो कार्यकाल की समय सीमा को समाप्त करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभुत्व को बरकरार रखने और नेतृत्व की एकता के लिए यह जरूरी था। उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी शी जिनपिंग के आजीवन राष्ट्रपति रहने के प्रस्ताव का समर्थन किया।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति ने संविधान में संशोधन करके राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दो कार्यकाल की समय सीमा को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश किया। हाल ही में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करने वाले शी के बारे में कहा जा रहा था कि इस प्रस्ताव से वह तीसरा कार्यकाल और उसके बाद भी आजीवन राष्ट्रपति बने रहेंगे। इस पर चीन और विदेशों में चिंता और अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
चीनी क्रांति के बाद पार्टी के संस्थापक माओ जेदोंग ने भी निरंकुश सत्ता का उपभोग किया था। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रवक्ता झांग येसूई ने पहली बार पार्टी के इस फैसले पर कहा था कि सीपीसी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति के लिए तो कार्यकाल की सीमा है, लेकिन पार्टी प्रमुख और सैन्य प्रमुख के कार्यकाल के बारे में कोई सीमा निर्धारित नहीं है।
संविधान अब तक राष्ट्रपति के कार्यकाल के बारे में भी इसी परंपरा का पालन करता रहा है। शी ने 2012 में सत्ता संभाली थी। इसके अलावा वह पार्टी और सेना के अध्यक्ष रहे। चीन में पार्टी और सेना के प्रमुख का पद महत्वपूर्ण होता है, जबकि राष्ट्रपति का पद कुल मिलाकर रस्मी होता है।