दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ सुनवाई करेगी। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ कांग्रेस की ओर से कोर्ट में याचिका दायर की गई है। कांग्रेस और कई दूसरे दलों ने इस मामले में केंद्र के रवैये को पक्षपातपूर्ण बताया है।
प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तीखी आलोचना करते हुए कांग्रेस, जदयू, भाकपा और आप ने इसे संघवाद और लोकतंत्र की ‘हत्या’ करार दिया और भाजपा नीत केंद्र सरकार पर देश की सर्वोच्च अदालत को ‘अपमानित’ करने का आरोप लगाया जो अभी मामले की सुनवाई कर रही है।
वहीं अरुणाचल से आने वाले गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि यह कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई है और हमें कांग्रेस से लोकतंत्र का पाठ सीखने की ज़रूरत नहीं है। दरअसल, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पिछले दो दिनों में गहन विचार विमर्श के बाद आज केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश को मंजूरी प्रदान कर दी थी और इस आधार को स्वीकार कर लिया कि राज्य में ‘संवैधानिक संकट’ है।
पिछले कई दिनों से राज्य में राजनीतिक अस्थिरता के बीच केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी। 60 सदस्यों वाली अरुणाचल विधानसभा में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के 47 विधायक थे, जिसमें 21 विधायकों ने अपनी ही पार्टी और मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावत कर राज्य के डिप्टी स्पीकर को विधायक दल का नेता चुन लिया। बीजेपी के 11 विधायकों ने भी इसका समर्थन किया, जिसके चलते नबाम टुकी की सरकार अल्पमत में आ गई और राज्य में राजनीतिक अस्थिरता बन गई।