कसौली : ‘संघ’ से वैचारिक रूप से प्रभावित नई पीढ़ी के लोगों का मानना है कि धारा 377 जैसे कानून को खत्म करना चाहिए, इसमें संबंधों का निषेध अवयस्कों और अन्य जीवों तक सीमित किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ही परोक्ष रूप से जुड़े संगठन, इंडिया फाउंडेशन ने आज हिमाचल प्रदेश के कसौली में दो दिन के युवा विचार शिविर का आयोजन किया था, इस शिविर में आरएसएस और भाजपा के कई बड़े नेता भी सम्मिलित हुए। युवाओं के इस कार्यक्रम में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के विषयों पर चर्चा हुई, उन्हीं में से एक था धारा 377 पर चर्चा। इस चर्चा में शिविर में आए युवाओं ने काफी प्रगतिशील ढंग से 377 पर अपने विचार रखे और कहा कि धारा 377 जैसे कानून व्यक्ति की निजता पर हमला करते हैं, इन्हें खत्म किया जाना चाहिए। दो दिन के इस शिविर में संघ के सह-सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल और भाजपा के महासचिव राम माधव मौजूद रहे। शिविर में कश्मीर में शांति, आंतरिक सुरक्षा जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई।
‘संघ’ और भारतीय जनता पार्टी की समलैंगिकता और उससे संबंधित कानून, धारा 377 पर राय इन युवाओं से अलग रही है। हालांकि संघ और पार्टी के भीतर ही कुछ वरिष्ठ लोग इसपर पारंपरिक लाइन से अलग हटकर भी बोलते रहे हैं। लेकिन इंडिया फाउंडेशन के इस दो दिवसीय कार्यक्रम में युवाओं ने संघ के प्रस्ताव के साथ-साथ हमसफर ट्रस्ट और नाज़ फाउंडेशन की पेटिशंस का भी अध्ययन किया और चर्चा के बाद इस नतीजे पर पहुंचे कि निजता पर हमला सही नहीं है। एक कार्यकर्ता ने कहा कि भारत के इतिहास को देखें तो ऐसे कई उदाहरण मिल जाते हैं जिनसे साबित होता है कि दो वयस्कों के बीच संबंधों की व्याख्या बाइबिल जैसी नहीं है, हम एक खुले समाज और विचार के साथ जीते आए हैं। खजुराहो हो या ऐसे और भी कई उदाहरण, भारतीय समाज लोगों के चयन और संबंधों को जगह देता आया है। वो आगे समझाते हैं, “हम लोगों की चर्चा के दौरान सहमति बनी कि समलैंगिकता व्यक्ति की निजता के दायरे में आता है इसलिए इसमें बिना कारण रोकटोक या पाबंदी उचित नहीं मानी जा सकती। हां, समलैंगिकता को देखने और समझने का पश्चिमी मॉडल या उसके इर्द-गिर्द का अनावश्यक प्रचार भी उचित नहीं है।
शिविर में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं में रूपा गांगुली, अनुराग ठाकुर, पेमा कंडू, शौर्य डोवाल सहित कई अन्य लोग भी मौजूद रहे। यहां देश के आईआईटी, आईआईएम, जेएनयू, दिल्ली विश्वविद्यालय, मीडिया और सोशल मीडिया के क्षेत्र में काम कर रहे लगभग 80 युवा इकट्ठा हुए और इन विषयों पर दो दिन के कार्यक्रम के दौरान अपने विचार व्यक्त किए। वहीँ आईपीसी धारा 377 का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है और संवैधानिक पीठ ने इस पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। धारा 377 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अप्राकृतिक रूप से यौन संबंध बनाता है तो उसे उम्रकैद या जुर्माने के साथ दस साल तक की कैद हो सकती है, इसी व्यवस्था के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में दो वयस्कों के बीच परस्पर सहमति से समलैंगिक यौन रिश्तों को अपराध की श्रेणी में रखने वाली धारा 377 को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है।