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राहुल के हाथ होगी लोकसभा टिकटों की कमान

 hadhनई दिल्ली(एजेंसी)। कांग्रेस उपाध्यक्ष भी काफी सक्रिय नजर आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमिटी के सभी अध्यक्षों से राहुल गांधी ने शुक्रवार को मुलाकात की। सूत्रों की मानें तो राहुल ने उम्मीद्वारों के चयन सहित राजनीतिक प्रक्रिया में आम आदमी और पार्टी की स्थानीय इकाइयों को तरजीह दिए जाने की महत्ता को रेखांकित किया। बताया गया कि राहुल ने उम्मीद्वारों के चयन के व्यापक मानकों की चर्चा की, जिसमें जीतने की क्षमता के साथ-साथ उसके किसी भी प्रकार के आपराधिक रेकॉर्ड न होने की बात भी कही गई। साथ ही 2 बार से ज्यादा हारने वाले और एक लाख से ज्यादा वोटों से हारने वालों को भी टिकट नहीं देने की रणनीति बनाई गई। राहुल ने कहा कि स्क्रीनिंग समिति को इस माह के अंत से काम करना शुरु कर देना चाहिए ताकि टिकटों को अंतिम रूप देने के लिए केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक अगले माह के पहले सप्ताह से शुरु हो सके। कांग्रेस उपाध्यक्ष द्वारा शुरु की गयी यह प्रक्रिया बीजेपी एवं ‘आप’ द्वारा चुनाव के लिए अपने उम्मीद्वारों की चयन की प्रक्रिया को तेज करने की पृष्ठभूमि में है। दोनों दल ने इसके लिए इस महीने की समय सीमा तय की है। अभी तक कांग्रेस अपने प्रत्याशियों को तय करने के मामले में काफी विलंब करती रही है। पार्टी के द्वारा कई बार तो प्रत्याशियों की घोषणा नामांकन पत्र भरने के अंतिम दिन की जाती थी। ऐसे में प्रत्याशियों को चुनाव तैयारियों के लिए काफी कम समय मिल पाता था। राहुल ने पार्टी महासचिव मधुसूदन मिस्त्री एवं सी. पी. जोशी को स्क्रीनिंग समिति के कामकाज के तौर-तरीके तय करने की जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी, दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल और कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन राज्य मंत्री वी. नारायणसामी भी बैठक में मौजूद थे। अटार्नी जनरल जी. ई. वाहनवती द्वारा सुप्रीम कोर्ट में कोयला ब्लॉकों के आवंटन में कुछ गलतियों को स्वीकार किए जाने के एक दिन बाद यह बैठक हुई है। राहुल गांधी ने शुक्रवार को इसके अलावा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात की। मुलाकात करीब 30 मिनट चली और इसके बाद कांग्रेस कोर समूह की बैठक हुई। पार्टी सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचार विरोधी विधेयक पर चर्चा अजेंडे में सबसे ऊपर थी। इसके अलावा कांग्रेस सांसदों ने भी पेट्रोलियम मंत्री से मिलकर रियायती गैस सिलिंडरों की तादाद 9 से बढ़ाकर 12 करने की मांग की। अब इसे ‘आप’ इफेक्ट कहें या पार्टी की रणनीति, लेकिन कांग्रेस को लोकसभा चुनावों से पहले जनता से किए गए अहम वादे याद आ गए हैं। और इसे पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू भी कर दिया है। राहुल का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलना और बिना किसी आपराधिक रेकॉर्ड के उम्मीद्वारों के चयन की बात इसी ओर संकेत करते हैं।

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