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राहुल गांधी का सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद, पीएम मोदी को लोकतंत्र का मतलब समझाने के लिए

l_rahul-gandhi-1468401219नई दिल्ली।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अरुणाचल प्रदेश में नबाम तुकी सरकार को बहाल करने का आदेश देने के बाद बीजेपी पर विपक्षी पार्टियों ने जमकर हमला बोला। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, धन्यवाद सुप्रीम कोर्ट, पीएम को लोकतंत्र के मतलब समझाने के लिए। 

केजरीवाल ने साधा निशाना

कांग्रेस के साथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। केजरीवाल ने ट्वीट  कर कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं। पहले उत्तराखंड और अब अरुणाचल में मोदी सरकार को करारा तमाचा लगा है। उम्मीद है कि केन्द्र सरकार अब इससे सबक लेगी। लोकतंत्र को चलने देगी।Ó 

केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार पार्टियों को तोडऩे और राष्ट्रपति शासन लगाने की नापाक कोशिश में है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें उम्मीद है कि अब दिल्ली सरकार को भी चलने दिया जाएगा। 

भाजपा के भड़काने की वजह से बागी हुए

इस बीच अरुणाचल में कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे नबाम टुकी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि केंद्र सरकार लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को पीछे के दरवाजे से गिराने की कोशिश में लगी हुई है। उच्चतम न्यायालय के फैसले ने संविधान की रक्षा की है। कांग्रेस के विधायक आपसी कलह की वजह से नहीं बल्कि भाजपा के भड़काने की वजह से बागी हुए हैं और इस फैसले के बाद सभी वापस आ जाएंगे। 

उच्चतम न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के विधानसभा सत्र एक महीने पहले बुलाने के फैसले को संविधान का उल्लंघन करार देते हुए राज्य में फिर से कांग्रेस की सरकार को बहाल करने का आज आदेश दिया। शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अरुणाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के लिए राज्यपाल के फैसले को गलत ठहराया। 

संविधान पीठ ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश विधानसभा का सत्र एक माह पहले बुलाने का राज्यपाल का फैसला संविधान का उल्लंघन है और यह रद्द करने लायक है। संविधान पीठ ने यह भी कहा कि विधानसभा की कार्यवाही के संचालन से जुड़ा राज्यपाल का निर्देश संविधान का उल्लंघन है। 

इसने कहा कि राज्यपाल के नौ दिसंबर, 2015 के आदेश का पालन करने के मद्देनजर विधानसभा द्वारा उठाए गए सभी कदम और फैसले दरकिनार करने लायक हैं। संविधान पीठ के पांचों न्यायाधीश ने राजखोवा के फैसले को रद्द करने का निर्णय एक मत से लेते हुए राज्य में 15 दिसंबर 2015 से पहले वाली स्थिति कायम रखने के निर्देश दिए हैं। 

गौरतलब है कि कांग्रेस के बागी नेता कालिखो पुल ने भाजपा की मदद से राज्य में सरकार बनाई थी। कांग्रेस के बागी विधायकों ने भाजपा के साथ मिलकर मुख्यमंत्री नबाम टुकी को हटा दिया था। जिसके बाद कांग्रेस ने शीर्ष अदालत की शरण ली थी। 

 
 

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