राहुल गांधी को पप्पू कहने वाले लोग, एक बार अमित शाह की डिग्री भी देख लीजिए
देश में शिक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है, देश में लाखों गरीब बच्चे शिक्षा से वंचित रहते हैं। लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार ने वादा किया था की वह शिक्षा के स्तर को सुधारेंगे और रूरल एरिया में भी स्कूल का निर्माण कर शिक्षा पहुंचाएंगे। बीजेपी पर ये आम सी बात बहुत ही ख़ास ढंग से सटीक बैठती है की वादे तो पूरे न करने और तोड़ने के लिए होते हैं।
1. फर्जी डिग्री लेकर घूमते हैं पीएम मोदी
इसका उदाहरण आप देख सकते हैं। आज देश के शिक्षित लोग भी सड़कों पर उतर कर मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं। दरअसल जब हमारे प्रधानमंत्री खुद अनपढ़ है, तो वह शिक्षा की जरूरत और उसके मायने समझ पाने में असमर्थ है। देश की जनता को लगता है की बीजेपी का नेटवर्क देश में फैलाने के लिए मोदी का हाथ है।
2. अमित शाह के हाथ में बीजेपी की नईया
लेकिन मोदी, सिर्फ मुंह फाड़ते हुए भाषण देने, घूमने में माहिर हैं। असल में इस सब के पीछे का शैतानी दिमाग तो कोई और ही है। जिसे हम बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के तौर पर जानते हैं। हम ये तो जानते हैं की बीजेपी का विस्तार जिस तरह से हो रहा है उसके पीछे अमित शाह का हाथ है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं की अमित शाह ने कितनी पढाई की है। नहीं, कोई बात नहीं, बीजेपी और पढ़ाई का कनेक्शन ही थोड़ा अटपटा सा लगता है।
3. अमित शाह ने बायोकेमिस्ट्री में की बीएससी
आपने कभी जान्ने की कोशिश ही नहीं की होगी। तो आईये आज आपको बताते हैं की बीजेपी के शातिर दिमाग वाले रणनीतिकार अमित शाह के पास कौन सी डिग्री है ? अमित शाह एक बिजनेस परिवार से आते हैं और जैन धर्म के गुजराती व्यक्ति हैं। शाह की शिक्षा बायोकेमिस्ट्री में बीएससी की है।
4. सालों से हैं संघ के साथ
राजनीति में आने से पूर्व शाह और उनके पिता एक प्लास्टिक का व्यापार करते थे। कॉलेज के समय शाह की मुलाकात नरेन्द्र मोदी से हुई जो अभी भारत के प्रधानमंत्री हैं। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की दोस्ती तो जगजाहिर ही है। शाह साल 1983 में अखिल भारतीय विधार्थी परिषद् से जुड़ गए। इससे पहले अमित शाह छात्र जीवन में ही राजनीति में आ गए थे।
5. साल 1986 में जुड़े बीजेपी के साथ
साल 1986 के समय अमित शाह बीजेपी में शामिल हुए थे, 1987 में शाह भारतीय जनता युवा मोर्चा के मेम्बर बने। शाह 1986 में भाजपा में शामिल हुये। 1987 में उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा का सदस्य बनाया गया। शाह को पहला बड़ा राजनीतिक मौका मिला 1991 में, जब आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला।
6. अच्छी शतरंज खेलते हैं अमित शाह
दूसरा मौका 1996 में मिला, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में भी उन्होंने चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला। इसके अलावा शाह शतरंज के अच्छे खिलाड़ी है, शाह की व्यापार में अच्छी-खासी समझ है। इसकी बदौलत ही आज बीजेपी के राज में उद्योगपति मलाई काट रहे हैं।