राहुल गांधी ने कहा- मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद नहीं संभालना चाहता, गैर-गांधी परिवार से पार्टी अध्यक्ष चुनें
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के लोकसभा सांसदों के साथ बैठक में साफ किया कि वह संगठन में अध्यक्ष पद पर नहीं बने रहना चाहते. राहुल ने कहा यह मेरा फैसला है. उन्होंने ये भी कहा कि गैर-गांधी परिवार से पार्टी अध्यक्ष चुना जाना चाहिए. सूत्रों के मुताबिक मीटिंग में मौजूद सोनिया गांधी ने इस दौरान एक शब्द भी नहीं कहा.
हालांकि लोकसभा सांसदों ने कहा कि पार्टी को आपकी जरूरत है और आपके अलावा फिलहाल कोई और विकल्प नहीं है. राहुल गांधी और सोनिया गांधी को मिलाकर लोकसभा में कांग्रेस के 52 सांसद हैं. सभी सांसदों ने एक सुर में कहा कि राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बने रहना चाहिए. लेकिन सभी सांसदों के कहने के बाद भी राहुल ने अपने अध्यक्ष पद पर बने रहने की बात को नकार दिया.
सूत्रों मुताबिक़ बाद में शशि थरूर और मनीष तिवारी ने राहुल को कहा कि हार की ज़िम्मेदारी ना सिर्फ़ आपकी (अध्यक्ष) है , बल्कि हार की ज़िम्मेदारी सामूहिक है. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद 25 मई को हुई पार्टी कार्य समिति की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी. हालांकि कार्य समिति के सदस्यों ने उनकी पेशकश को खारिज करते हुए उन्हें आमूलचूल बदलाव के लिए अधिकृत किया था. इसके बाद से इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है कि गांधी अध्यक्ष पद पर बने रहेंगे या किसी दूसरे नेता को यह जिम्मेदारी दी जाएगी.
‘गैर गांधी’ हो सकता है पार्टी का प्रमुख लेकिन…
राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद पर बने रहने की अनिश्चितता के बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने पिछले दिनों कहा कि एक ‘गैर गांधी’ पार्टी का प्रमुख हो सकता है लेकिन गांधी परिवार को संगठन के भीतर सक्रिय रहना होगा. उन्होंने दावा किया कि भाजपा का लक्ष्य “गांधी मुक्त कांग्रेस” है ताकि फिर “कांग्रेस मुक्त भारत” का उनका उद्देश्य पूरा हो सके.
अय्यर ने कहा कि अगर राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बने रहते हैं तो यह सबसे अच्छा होगा लेकिन साथ ही राहुल की इच्छाओं का भी सम्मान होना चाहिए. उन्होंने कहा, “मैं आश्वस्त हूं कि पार्टी का अध्यक्ष कोई नेहरू-गांधी न हो तब भी हमारा अस्तित्व कायम रहेगा बशर्ते नेहरू-गांधी परिवार पार्टी में सक्रिय रहे और ऐसे संकट का समाधान निकालने में मदद करे जहां गंभीर मतभेद उत्पन्न हों.”
अय्यर ने कहा कि राहुल ने अध्यक्ष पद के लिए कोई अन्य विकल्प ढूंढने के लिए एक महीने का वक्त दिया है और इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के भीतर बातचीत जारी है जहां पार्टी में ज्यादातर लोग राहुल के पद पर बने रहने के पक्ष में हैं. हालांकि पूर्व केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि मीडिया को अटकलें लगाने की बजाए यह जानने के लिए “अंतिम समय सीमा” का इंतजार करना चाहिए कि क्या कोई विकल्प मिल गया है या राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष बने रहने के लिए मना लिया गया है.
अय्यर ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह व्यक्तित्व का मामला है. मैं जानता हूं कि भाजपा का लक्ष्य गांधी मुक्त कांग्रेस और नतीजन कांग्रेस मुक्त भारत है. मेरे विचार में हम उस सोच के जाल में फंसने वाले नहीं हैं कि उन्होंने कुछ ऐसा पता लगा लिया है जिसे खोज पाने में हम असमर्थ हैं.”
संगठन के शीर्ष पर फेरबदल की जरूरत को लेकर पूछे गए सवाल पर 78 वर्षीय अय्यर ने कहा, “अगर आप सिर ही कलम कर देंगे तो धड़ फड़फड़ाने लगेगा.” अय्यर ने पार्टी के इतिहास से ऐसे कई उदाहरण पेश किए जब नेहरू-गांधी परिवार से बाहर के लोग पार्टी के अध्यक्ष रहे, यू एन ढेबर से लेकर ब्रह्मानंद रेड्डी तक. उन्होंने कहा कि अब भी इस मॉडल को अपनाया जा सकता है.
उन्होंने कहा, “हम जानते हैं कि श्रीमती (सोनिया) गांधी संसदीय दल की अध्यक्ष हैं और श्रीमान (राहुल) गांधी हमारे संसदीय दल के अहम हिस्से हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि शीर्ष पद पर राहुल गांधी रहें या कोई और, पार्टी लड़ेगी और वापस अपने स्वाभाविक नेतृत्व के मुकाम पर पहुंचेगी जिसे मैं ‘आइडिया ऑफ इंडिया मूवमेंट’ कहता हूं.”