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राहुल गाँधी तो एक बहाना था, मायावती ने अपने फायदे के लिए कर दिया ‘अपना राइट हैंड कुर्बान’!

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने अपने विश्वसनीय जय प्रकाश सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया. जय प्रकाश सिंह के पास बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी थी. जेपी को पार्टी से निकालते हुए मायावती ने कहा कि उन्होंने न सिर्फ पार्टी की विचारधारा के खिलाफ बयानबाजी की, बल्कि विरोधी पार्टी के नेताओं पर व्यक्तिगत टिप्पणियां भी कीं. लेकिन क्या वाकई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ सार्वजनिक मंच से कमेंट करना जेपी सिंह को भारी पड़ा गया या पार्टी पदाधिकारियों के बीच मंच से उनकी तीखी भाषणबाजी ने मायावती को उनके खिलाफ ये कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया.

राहुल गाँधी तो एक बहाना था, मायावती ने अपने फायदे के लिए कर दिया 'अपना राइट हैंड कुर्बान'!दरअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि जय प्रकाश सिंह हाल के दिनों में बहुजन समाज पार्टी में सबसे मजबूत नेताओं की फेहरिस्त में थे. इसी साल मई में कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद मायावती ने परिवारवाद के आरोपों से बचने के लिए अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटाया था. मायावती का यह कदम काफी बड़ा था, क्योंकि पार्टी में परिवार के नाम पर केवल उनके भाई ही नजर आते थे.

दूसरी बात ये कि बसपा में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद अध्यक्ष के बाद सबसे बड़ा माना जाता है और यहां पार्टी का एक ही उपाध्यक्ष होता है. इसी पद से होते हुए मायावती चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बनी हैं. समाज सुधारक कांशीराम ने जब बहुजन समाज पार्टी बनाई तो मायावती को उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर एंट्री दी. मायावती के बाद राजाराम बसपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने और लंबे समय तक उन्होंने यह जिम्मेदारी संभाली. राजाराम के बाद ही मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था. हालांकि, ये बात अलग है कि उन्हें बहुत ज्यादा अधिकार नहीं दिए गए थे. जबकि आनंद कुमार को हटाकर जय प्रकाश सिंह को जब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया तो उन्हें इस पद के साथ अधिकार भी दिए गए.

बयान से नाराजगी

लखनऊ में 16 जुलाई को बसपा कोऑर्डिनेटर और सीनियर कार्यकर्ताओं की मीटिंग हुई. इस मीटिंग में जेपी सिंह काफी उत्साहित नजर आए. उन्होंने एक तरफ जहां पार्टी पदाधिकारियों से 2019 चुनाव के बाद मायावती को प्रधानमंत्री बनाने का आह्वान किया, वहीं विरोधियों पर भी जमकर बरसे. मायावती की तारीफ करते-करते वह ऐसी बातें भी बोल गए, जो कभी खुद मायावती तक नहीं बोल पाईं.

बसपा के संस्थापक स्वर्गीय कांशीराम को मायावती भी मान्यवर कांशीराम कहकर संबोधित करती हैं. लेकिन जेपी सिंह लखनऊ मीटिंग के दौरान बार-बार कांशीराम कहकर ही अपना भाषण देते रहे. इसके अलावा उन्होंने ब्राह्मणों से लेकर ठाकुर, मुसलमान, गाय और राम मंदिर जैसे मुद्दों पर भी बयान दिया.

मायावती की शरण में आएं मुस्लिम, ब्राह्मण

जेपी सिंह ने कहा कि देश में जब महावीर का युग आया था तो ब्राह्मण संकट में थे, तब बुद्ध की शरण में जाकर ब्राह्मण बच पाए थे. अब वक्त है कि ब्राह्मण मायावती की शरण में आ जाएं. इतना ही नहीं, जेपी सिंह ने मुसलमानों को लेकर कहा कि जब जय श्रीराम का नारा लगता है तो मुस्लिम समाज थर-थर कांपता है. उन्होंने आगे कहा कि हम मुस्लिम समाज को वचन देते हैं बहनजी की शरण में आ जाए आंच नहीं आने देंगे.

‘गाय किसी की माता नहीं हो सकती’

जेपी सिंह ने अपने बयान में गाय का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा, ‘इस देश में गाय, गन्ना, गोबर के नाम पर वोट मांगते हैं. कहते हैं गाय को माता बनाओ और अपनी माता को वृद्धाश्रम में भर्ती करते हैं. गाय एक अच्छी पशु और सीधा जानवर हो सकती है लेकिन किसी की माता नहीं हो सकती.’ जेपी सिंह ने कहा कि माता वो होती है जिसने हमें जन्म दिया, गाय तुम्हारी माता होगी.

‘राम मंदिर रखो, हमें राज दो’

जय प्रकाश सिंह देश के सबसे विवादित और चर्चित राम मंदिर मुद्दे पर जमकर भाषण दिया. उन्होंने कहा, ‘इस देश में लाखों राम के मंदिर हैं, हम भी राम को मानने को तैयार हैं. लेकिन एक मंदिर और बन जाएगा तो क्या हमारे बच्चों को रोजगार मिल जाएगा.’ जेपी सिंह ने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि राम के नाम पर भीख मांगी जाती है, राम के नाम पर वोट नहीं मांगे जाते. इससे आगे उन्होंने यह भी कह दिया कि राम को तुम ले जाओ, हमें राज दे दो. यही नहीं जय प्रकाश ने मायावती को जिंदा देवी की संज्ञा देते हुए आह्वान किया कि किसी और देवी को नहीं जिंदा देवी को मानिए.

यानी जिन मुद्दों पर कभी मायावती ने भी इस अंदाज में अपनी राय नहीं रखी, उन पर जय प्रकाश सिंह सबसे बीच बेबाकी से बोल गए. यही वजह है कि मंगलवार को जब मायावती ने उन्हें पार्टी से बाहर करने का ऐलान किया तो पार्टी विचारधारा के खिलाफ जाकर बयानबाजी को भी उन्होंने प्रमुख वजह बताया. हालांकि, ये बात अलग है कि राहुल गांधी के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी करना जेपी को हटाए जाने की बड़ी वजह बताई गई.

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