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रिजर्व बैंक अपने खजाने में कितनी रकम रखे? ये समिति देगी सुझाव

Reserve Bank of India (RBI) ने बुधवार को पूर्व आरबीआई गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई में आर्थिक पूंजी के ढांचे पर 6 सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो यह सलाह देगी कि आरबीआई को कितनी पूंजी अपने पास रखने की जरूरत है और शेष बची पूंजी वह सरकार के हवाले कर दे. आरबीआई के पास पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में ऐसी 9.6 लाख करोड़ रुपये की पूंजी दिखाई गई है.

आरबीआई की विशेषज्ञ समिति अपनी पहली बैठक के 90 दिनों के अंदर रिपोर्ट दाखिल कर देगी. देश के केंद्रीय बैंक के पास पड़े इस अतिरिक्त कोष को लेकर ही रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल और मोदी सरकार के बीच गहरे मतभेद बन गए थे. बाद में उर्जित ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था. वित्त मंत्रालय का कहना है कि आरबीआई के पास अपनी कुल संपत्ति के 28 फीसदी के बराबर बफर पूंजी है, जो वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंकों द्वारा रखे जाने वाली रिजर्व पूंजी की तुलना में कहीं ज्यादा है. वैश्विक नियम 14 फीसदी का ही है.

बिमल जालान आरबीआई गवर्नर पद से मुक्त होने के बाद 2003 से 2009 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. जालान ने सरकार में कई हाई प्रोफाइल पदों पर सेवाएं भी दी हैं. 1980 में वह भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार रहे. जालान 1985 और 1989 में बैंकिंग सेक्रेटरी रह चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने जनवरी 1991 से सितंबर 1992 तक वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव का पद भी संभाला.

तनातनी का अहम मुद्दा

आरबीआई ने कहा, ‘बैंक की केंद्रीय बोर्ड की 19 नवंबर 2018 को हुई बैठक में यह फैसला किया गया कि आरबीआई ने भारत सरकार के साथ सलाह-मशविरा के बाद एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जो आरबीआई के आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा करेगी.’

पिछले दिनों सरकार और आरबीआई के बीच तनातनी का एक अहम मुद्दा बन गया, जब सरकार की ओर से कहा गया कि केंद्रीय बैंक किसी भी अन्य केंद्रीय बैंक की तुलना में बहुत ज्यादा नकदी रिजर्व रख रहा है और उसे पूंजी की भरपूर मात्रा भारत सरकार के हवाले कर देनी चाहिए. इस विवाद के बीच उर्जित ने निजी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया और उनकी जगह पूर्व आर्थिक सचिव शशिकांत दास को नया आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया गया.

कितनी पूंजी रखे RBI

आरबीआई की यह छह सदस्यीय समिति यह सिफारिश करेगी कि किन आधारों पर आरबीआई जोखिम का आकलन कर यह तय करे कि कितनी पूंजी अपने पास रखनी चाहिए और कितनी सरकार को दे देनी चाहिए.

इस समिति में आरबीआई के उप गवर्नर और पूर्व आर्थिक मामलों के सचिव राकेश मोहन भी उपाध्यक्ष के रूप में शामिल है. अन्य सदस्यों में आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, आरबीआई के उप गवर्नर एनएस विश्वनाथन और दो आरबीआई बोर्ड के निदेशक भारत दोषी और सुधीर मनकड हैं.

इस समिति की पहली बैठक के बाद 3 महीने के अंदर रिपोर्ट देना होगा. इस साल जून में आरबीआई के पास 36.18 लाख करोड़ रुपये जमा थे, जिसमें 9.59 लाख करोड़ रिजर्व मुद्रा, स्वर्ण पुनर्मूल्यांकन के रूप में 6.91 लाख करोड़ और आनुषांगिक फंड के रूप में 2.32 लाख करोड़ रुपये के रूप में हैं.

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