रिजर्व बैंक को मिले कुछ अधिकारों की समीक्षा की जरूरत : चिदंबरम
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मुंबई (एजेंसी)। वित्त मंत्री पी़ चिदंबरम ने रिजर्व बैंक को मिले तमाम अधिकारों में से कुछ अधिकारों की समीक्षा पर आज जोर दिया। वित्त मंत्री ने रिजर्व बैंक के अधिकारों को मौद्रिक नीति बनाने और बैंकिंग क्षेत्र के नियमन तक सीमित रखने की आवश्यकता जताई है। चिदंबरम ने कहा कि रिजर्व बैंक के दूसरे अधिकारों को या तो सरकार के सुर्पुद कर देना चाहिये या फिर फिर इसे दूसरे नियामकों को दे दिया जाना चाहिये। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज :एनएसई: की 20वीं सालगिरह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में एक परिचर्चा के दौरान चिदंबरम ने कहा यह :रिजर्व बैंक: मौद्रिक प्राधिकरण है और यह बैंकों का नियामक रहेगा लेकिन इसके अन्य सभी कामकाज मेरा मानना है कि उन पर नये सिरे से गौर किया जाना चाहिये और अपने आप से यह पूछा जाना चाहिये कि उन कार्यों को आगे बढ़ाने के लिये क्या रिजर्व बैंक सबसे बेहतर प्राधिकरण है या फिर उन कार्यों के लिये कोई और प्राधिकरण बनाया जाना चाहिये। वित्त मंत्री ने कहा कि न्यायमूति बी़एऩ श्रीकष्ण की अध्यक्षता में गठित वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग :एफएसएलआरसी: ने भी इस तरह की सिफारिश की है। उन्होंने कहा कि वैश्विक अनुभव भी यही कहता है कि रिजर्व बैंक दुनिया के दूसरे केन्द्रीय बैंकों के मुकाबले काफी ज्यादा कार्य करता है। यह गौर करने की बात है कि रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी़ सुब्बाराव एफएसएलआरसी की रिपोर्ट की खुलकर आलोचना करते रहे। उनका कहना था कि प्राथमिक तौर पर यह रिपोर्ट रिजर्व बैंक के पर कतरने की सिफारिश करती है। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति जारी करने और बैंकों के नियमन के अलावा मुद्रा जारी करने सरकार के लिये बैंकर का काम करने रिण नियंत्रक और विदेशी मुद्रा भंडार के कस्टोडियन की भूमिका भी निभाता है।