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रिटायरमेंट से पहले दीपक मिश्रा अयोध्या, समलैंगिकता, जैसे इन 11 बड़े मुद्दों पर देंगे ऐतिहासिक फैसला

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को रिटायर हो रहे हैं. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के सुप्रीम कोर्ट के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने की अटकलें हैं. चीफ जस्टिस रिटायरमेंट से पहले चर्चित मामलों पर फैसला सुना सकते हैं. इसमें अयोध्या, सबरीमाला मंदिर मामला, आधार, समलैंगिकता, एडल्टरी, दागी नेताओं के चुनाव लड़ने पर बैन का मामला, दहेज प्रताड़ना में सेफगार्ड शामिल है. 

रिटायरमेंट से पहले दीपक मिश्रा अयोध्या, समलैंगिकता, जैसे इन 11 बड़े मुद्दों पर देंगे ऐतिहासिक फैसलान्यायमूर्ति रंजन गोगोई के सुप्रीम कोर्ट के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने की अटकलों के बीच अदालत के अगले 19 कार्यदिवस में एससी/एसटी के लिए प्रमोशन में आरक्षण समेत कई महत्वपूर्ण मसलों पर फैसले सुनाए जाएंगे. एक अन्य महत्वपूर्ण आदेश राजनेताओं के आपराधिक मामले में आ सकता है जिसमें यह तय होगा कि आपराधिक मामलों में राजनेता को किस स्तर पर चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जाएगा. इस फैसले से आपराधिक रिकॉर्ड वाले राजनेताओं को दूर रखकर विधायिका को स्वच्छ बनाया जाएगा.

इन सभी मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के फैसले का इंतजार है. प्रधान न्यायाधीश मिश्रा का सर्वोच्च न्यायालय में अंतिम कार्यदिवस एक अक्टूबर 2018 होगा क्योंकि वह दो अक्टूबर 2018 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इस दिन महात्मा गांधी की जयंती होने के कारण अवकाश है. इन 19 दिनों में दाउदी बोहरा समुदाय में महिलाओं का खतना की परंपरा को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुनवाई पूरी होगी. इसके साथ ही, पारसी महिला से संबंधित मामले पर भी सुनवाई पूरी होगी जिसमें यह तय होगा कि क्या गैर-पारसी से शादी करने पर पिता के अंतिम संस्कार समेत समुदाय के धार्मिक गतिविधियों में महिला को वंचित किया जाना चाहिए.

बोहरा समुदाय में महिलाओं का खतना करने की पंरपरा पर केंद्र सरकार ने कहा है कि यह शारीरिक पूर्णता भंग करने वाला कृत्य है जो कि निजता और सम्मान के अधिकार का हिस्सा है. अयोध्या मामले में सवाल यह है कि 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले मामले की सुनवाई तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी या इससे बड़ी पीठ. मुस्लिम वादियों की ओर से दलील दी गई है कि सुनवाई बड़ी पीठ द्वारा की जानी चाहिए.

इसके अलावा भीड़ के हिंसक प्रदर्शन पर चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच इस मामले में गाइडलाइंस जारी करेगी. पुलिस और उत्पात मचाने वालों की जवाबदेही तय होगी. इसके अलावानेताओं के बतौर वकील प्रैक्टिस करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. संवैधानिक बेंच यह भी तय करेगी कि केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 साल से लेकर 50 साल की उम्र की महिलाओं को एंट्री दी जाए या नहीं?

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