गृह मंत्रालय ने वर्मा को बुधवार को दिए लेटर में कहा है कि आपको सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड, फायर सर्विसेज के महानिदेशक के पद पर ज्वाइन करने के लिए निर्देषित किया जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि वर्मा को एक दिन के लिए ऑफिस ज्वाइन करना होगा। क्योंकि यही दिन उनके कार्यकाल का आखिरी दिन है।
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने वर्मा को 10 जनवरी को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था। इसके बाद 11 जनवरी को उन्होंने गृह मंत्रालय को लेटर लिखकर कहा था कि उसी दिन से उन्हें सेवानिवृत माना जाए। आलोक वर्मा सरकारी सेवा से सेवानिवृति की उम्र 31 जुलाई, 2017 को ही पूरी कर चुके हैं। इसी कारण उन्होंने लिखा था कि जिस दिन उन्हें इस पद से हटाया गया है, उसी दिन से उन्हें सेवानिवृत माना जाए।
उन्होंने लेटर में लिखा कि उनका कार्यकाल सीबीआई निदेशक के तौर पर 31 जनवरी, 2019 तक के लिए बढ़ाया गया था। जानकारी के लिए बता दें सीबीआई निदेशक का कार्यकाल दो साल तक का होता है। वर्मा को सीवीसी की सिफारिश के बाद इस पद से हटाया गया था।
इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जनवरी में उनके पद पर बहाल कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चयन समिति ने वर्मा को बचे हुए समय के लिए फायर सर्विसेज सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड्स के महानिदेशक के पद पर ट्रांसफर कर दिया था।
चयन समिति के इस फैसले का लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विरोध किया था। वहीं जस्टिस एके सीकरी ने पीएम मोदी का समर्थन किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीवीसी जांच की निगरानी करने वाले जस्टिस एके पटनायक (सेवानिवृत) ने भी इस फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि ये फैसला जल्दबाजी में लिया गया है।