इंडियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट के नीचे धंसने की घटना से भूगर्भ विज्ञानी पहले की तुलना में अब अधिक चिंतित हैं। उनका मानना है कि सर्दी में छोटे-छोटे भूकंपों की संख्या तो अधिक होगी ही, बड़े भूकंप का खतरा भी बना रहेगा।
विज्ञानियों के अनुसार, इंडियन प्लेट के तिब्बत की तरफ यूरेशियन प्लेट में 40-50 मिमी प्रति वर्ष की रफ्तार से धंसने से दबाव पट्टियां (थ्रस्ट फॉल्ट) बन गई हैं।
सर्दियों में जब पानी नहीं गिरता है तो बारिश के दौरान नीचे की तरफ बढ़ रहा लोड उलटा (बाउंस बैक) होने लगता है। दबाव उलटा होने से भूगर्भीय पट्टियों की गति तेज होती है और भूकंप आने लगते हैं।
विज्ञानियों का कहना है कि इंडियन-यूरेशियन प्लेटों का टकराव तो तिब्बत की तरफ इंडो-सांपो सूचर जोन में हो रहा है, लेकिन इसका असर देहरादून के मोहंड, उत्तरकाशी, हिमाचल प्रदेश से लेकर कन्या कुमारी तक रहेगा।
वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक दबाव उलटने से भूगर्भ में एनर्जी बहुत पैदा होती है जिससे सर्दियों में भूकंप की फ्रीक्वेंसी बढ़ जाती है।
इनका है कहना
बारिश के दौरान भूगर्भ पर बढ़ा लोड पानी रुकने के बाद प्राकृतिक रूप से बाउंस बैक होता है। प्लेट के नीचे का दबाव उसके मूवमेंट की स्पीड के साथ मिल जाता है। इससे एनर्जी रिलीज होने लगती है और जाड़ों में भूकंप अधिक आने लगते हैं।