रूस ने सेना वापसी की बात दोहराई, अभियान जारी रखेगा यूक्रेन
मास्को/कीव। रूस ने गुरुवार को कहा कि उसने यूक्रेन की सीमा से अपने सभी सैनिकों को हटा लिया है। यूक्रेन ने इस बात पर जोर दिया है कि देश के पूर्वी हिस्से में कीव विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ उसका अभियान जारी रहेगा। रूस के उप रक्षा मंत्री अनातोले अंतोनोव ने कहा ‘‘उकसाने वाली गतिविधि को टालने के लिए हमने सीमा पर से सैनिकों को हटा लिया है। यहां तक कि प्रशिक्षण के उद्देश्य से वहां तैनात टैक्टिकल इकाई को भी हटा लिया गया है।’’ समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि रूस ने अपनी सेना को वापस बुला लिया है। बाद में पेंटागन ने इस दावे को खारिज कर दिया था। अंतोनोव ने कहा कि अभी तक नाटो के किसी भी सदस्य देश ने रूस के बारे में पारंपरिक हथियारों से संबंधित इसकी अंतर्राष्ट्रीय जवाबदेही के कथित उल्लंघन की औपचारिक शिकायत नहीं की है। उन्होंने कहा कि यूके्रन ने रूस की सीमा के करीब अपने 15००० सैनिकों को तैनात कर रखा है और कीव ने सैनिक तैयारी बहाल कर रखी है। उन्होंने आगे कहा कि कीव ने नाटो के साथ मिलकर पूर्वी यूरोप में सैन्यीकरण की सांठगांठ की है।
अंतोनोव ने कहा ‘‘इस तरह के कदम से यूक्रेन में तनाव कम नहीं हो सकेगा।’’ कीव में यूक्रेन के सुरक्षा अधिकारियों ने देश के पूर्वी क्षेत्र में रूस समर्थक प्रदर्शनकारियों के 11 मई को कराए जाने वाले जनमत संग्रह स्थगित करने के बावजूद अपनी सैनिक कार्रवाई जारी रखा जाएगा। सुरक्षा एवं रक्षा परिषद के सचिव अंद्रेई पारुबिय ने कहा ‘‘एक या अन्य विघटनकारी और आतंकवादी समूह के किसी फैसले को ध्यान में लाए बगैर आतंक विरोधी अभियान जारी रहेगा।’’ समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने कहा कि पारुबिय ने पूर्वी यूक्रेन में पृथकता पर होने वाले जनमतसंग्रह को ‘राजनीतिक जालसाजी’ करार दिया और कहा कि इस तरह के मतदान का ‘कोई भविष्य’ नहीं है। पारुबिय ने इस बात की उम्मीद जताई कि सैनिक अभियान में रूस समर्थक प्रदर्शनकारियों के कब्जे वाले शहरों और कस्बों को फिर से अधिकार में ले लिया जाएगा और क्षेत्र के संकट का पूरी तरह से समाधान हो जाएगा। अप्रैल के शुरू में प्रदर्शनकारियों ने सवोर्जिन पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ दोनेत्स्क एंड लुहान्स्क बनाने की घोषणा की थी और इस फैसले को वैधता प्रदान करने के लिए 11 मई को जनमतसंग्रह कराने का फैसला लिया है। गुरुवार को पूर्वी यूक्रेन के रूस समर्थक प्रदर्शनकारियों ने अपने क्षेत्र की स्वतंत्रता को लेकर 11 मई को जनमत संग्रह कराने के फैसले पर कायम रहने का निश्चय किया। रूस समर्थक नेता डेनिस पुशिलिन ने कहा ‘‘जनमत संग्रह ही विवादास्पद मुद्दे के समाधान का एकमात्र उपाय और दुनिया को यह सूचित करने का जरिया है कि यहां वास्तव में क्या हो रहा है।’’ समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक पुशिलिन ने कहा है कि देश के दोनेत्स्क एवं लुगान्स्क क्षेत्र के स्वयं-घोषित रिपब्लिक के कार्यकारी समूह ने रविवार को जनमत संग्रह कराने पर एकसुर से फैसला लिया है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक दोनेत्स्क शहर में मतदान की तैयारियां चल रही हैं और कार्यकर्ता इसमें रुचि रखने वाले सभी लोगों को जनमत संग्रह का मतपत्र बांटने में जुटे हैं। जनमत संग्रह में पूर्वी यूक्रेन के लोगों से यह राय जाहिर करने के लिए कहा जाएगा कि क्या उनके क्षेत्र दोनेत्स्क को कीव की सरकार से स्वतंत्र और स्वायत्त गणराज्य हो जाना चाहिए। यदि जनमत संग्रह होता है तो इसे भी मार्च महीने में क्रीमिया में हुए जनमत संग्रह की ही तरह रूस में शामिल होने का प्रयास समझा जाएगा। मार्च में क्रीमिया प्रायद्वीप और उसके सिटी ऑफ सेवास्तोपोल जनमत संग्रह के बाद रूस में शामिल हो गया।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हालांकि बुधवार को प्रदर्शनकारियों से रविवार को कराए जाने वाले मतदान रोकने की अपील की थी और प्रदर्शनकारियों ने उनकी अपील पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
उधर इससे जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में पेरिस में फ्रांस में रूस के राजदूत ने कहा कि यूक्रेन में गतिरोध जारी रहने के बावजूद फ्रांस में डी-डे की 7०वीं वर्ष गांठ के मौके पर राष्ट्रपति पुतिन विश्व नेताओं के साथ शामिल होंगे।
बीएफएमटीवी के मुताबिक राजदूत अलेग्जेंडर ओर्लोव ने कहा ‘‘फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रैंकोसिस होलांदे ने राष्ट्रपति पुतिन को आमंत्रित किया है और उन्होंने उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। वे 6 जून को होने वाले आयोजन में सामान्य रूप में शामिल होंगे।’’