रेलवे की कोई जिम्मेदारी नहीं, किस बात की हो इनक्वायरी: मनोज सिन्हा
अमृतसर में रावण दहन देखने के दौरान एक ट्रेन की चपेट में आकर हुई 61 लोगों की मौत के बाद शनिवार को रेलवे ने इस घटना से अपना पल्ला झाड़ लिया। वहीं रेलवे अधिकारियों का कहना है कि बहुत ज्यादा धुएं के चलते ड्राइवर को कुछ नजर नहीं आया। इस मामले में ट्रेन के लोको पायलट से पंजाब पुलिस ने पूछताछ की है। आईएएनएस के मुताबिक लोको पायलट ने पुलिस को बताया है कि उसे चलने के लिए ग्रीन सिग्नल मिला था जिसका मतलब होता है आगे सब साफ है। उसे इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि आगे सैकड़ों लोग खड़े होंगे।
नई दिल्ली: रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा ने अमृतसर ट्रेन हादसे की किसी भी तरह की जांच से इनकार किया है। घटना में गेटमैन का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि जिस जगह पर हादसा हुआ है, वह रेल फाटक से 300 मीटर दूर है। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस घटना में रेलवे की कोई जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का जिम्मा है और लोगों को रेलवे ट्रैक पर जमा नहीं होना चाहिए था, जबकि हादसे के वक्त लोग ट्रैक पर थे। मनोज सिन्हा ने कहा कि इस मामले में किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए, यह काफी दुखद घटना है उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि रेलवे को इस कार्यक्रम की कोई सूचना नहीं है।रेलपे अधिकारी उन लाइन मैन से भी जानकारियां जुटा रहे हैं जो जौरा फाटक के पास तैनात थे और वह ड्राइवर को यह सूचना देने में विफल रहे कि आगे सैकड़ों लोग खड़े हैं। उत्तरी रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने जारी बयान में कहा कि यह कार्यक्रम एक ऐसे क्षेत्र में हो रहा था, जो रेलवे के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एक बयान में कहा कि रेलवे पटरियों के निकट हो रहे दशहरा कार्यक्रम के बारे में विभाग को सूचित नहीं किया गया था। जब पत्रकारों ने मनोज सिन्हा पूछा कि क्या ड्राइवर ट्रेन की रफ्तार धीमी कर सकता था तो उन्होंने कहा कि पहले ही ड्राइवरों को बता दिया जाता है कि उन्हें ट्रेन की रफ्तार कहां कम करनी है। मनोज सिन्हा ने कहा कि घटना के वक्त सांझ हो चुकी थी और वहां कि पटरी भी घुमावदार थी, ड्राइवर को आगे भी नहीं दिखाई पड़ रहा होगा। ट्रेन की रफ्तार के बारे में उन्होंने कहा कि ट्रेनें तो स्पीड से ही चलती हैं. इस मामले में पत्रकारों ने जब गेटमैन के खिलाफ कार्रवाई की बात पूछी तो उन्होंने कहा कि जिस जगह पर रावण का पुतला जलाया जा रहा था वहां से रेल फाटक 300 मीटर दूर है। इस मामले में जब रेल मंत्रालय की तरफ से जांच की बात पूछी गई तो मंत्री ने साफ-साफ कहा, “किस बात की इनक्वायरी हम कराएं…” जब उनसे पूछा गया कि क्या ड्राइवर किसी भी तरह ट्रेन नहीं रोक सकता था। इस पर मंत्री ने कहा कि पटरी से 70 मीटर दूर कार्यक्रम हो रहा था, इसके अलावा वहां हलका मोड़ भी था, तो ड्राइवर को कैसे दिखाई देता? लोहानी कहा, “हमारे पास न तो इसकी कोई सूचना थी और न ही हमसे अनुमति ली गई थी। यह कार्यक्रम रेलवे की जमीन के बगल वाले स्थान, एक निजी स्थान पर आयोजित किया गया था ।” रेलवे को दोषी ठहराने से इनकार करते हुए लोहानी ने कहा कि राष्ट्रीय परिवाहक लोगों से अतिक्रमण नहीं करने की नसीहत देते हुए लंबे अरसे से अभियान चला रहा है। आधी रात को मौके पर पहुंचे लोहानी ने कहा, “हम इस अभियान को और आगे ले जाएंगे।” एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने हालांकि यह स्वीकार किया कि डीजल मल्टीपल यूनिट (डीएमयू) जालंधर-अमृतसर पैसेंजर ट्रेन के लोको पायलट ने आपातकालीन ब्रेक का उपयोग नहीं किया। अधिकारी ने स्वीकार किया कि क्रॉसिंग पर खड़े व्यक्ति को नजदीकी स्टेशन को वहां कार्यक्रम की भीड़ इकट्ठी होने की सूचना देनी चाहिए थी। स्टेशन मास्टर को सतर्क होना चाहिए था और बाद में उसे लोको पायलटों को सतर्क करना चाहिए था। शुक्रवार को धोबीघाट के निकट जोड़ा फाटक पर लगभग 700 लोगों की भीड़ रावण के विशाल पुतले का दहन देख रही थी तभी अमृतसर से होशियारपुर जा रही जालंधर-अमृतसर डीएमयू पैसेंजर ट्रेन शाम करीब सात बजे पटरी पर खड़े लोगों को रोंदती हुई गुजर गई। 5 सेकेंड के बाद ही वहां क्षत-विक्षत शव नजर आने लगे और वहां चीख-पुकार मचने लगी।