रेलवे टेंडर घोटाला : पेशी के लिए CBI मुख्यालय पहुंचे लालू
राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव रेलवे टेंडर घोटाले मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के ऑफिस पहुंच गए हैं। इससे पहले लालू ने सीबीआई के सामने पेश न होकर दो हफ्ते का वक्त मांगा था। लालू के साथ उनकी बेटी मीसा भारती भी हैं। लालू के अलावा उनके बेटे तेजस्वी यादव शुक्रवार को सीबीआई के सामने पेश होंगे। वहीं लालू और तेजस्वी की पेशी के चलते पार्टी ने बुधवार को आपात बैठक बुलाई। लालू की पत्नी राबड़ी देवी की अध्यक्षता में दस सर्कुलर रोड पर पार्टी के विधायकों और जिलाध्यक्षों की आपात बैठक हुई। लालू यादव और तेजस्वी की सीबीआई के सामने पेशी से एक दिन पहले पार्टी ने इस बैठक के माध्यम से अपनी एकजुटता भी दिखाई। बैठक में पार्टी की रणनीति के अलावा, विभिन्न मुद्दों को लेकर पार्टी के स्टैंड पर चर्चा हुई। बैठक में सभी विधायकों और जिलाध्यक्षों ने भाग लिया। जानकारी के अनुसार बैठक शुरू होने के साथ ही पार्टी की वर्तमान हालत पर चर्चा हुई और पार्टी के स्टैंड पर विचार विमर्श किया गया। जानकार सूत्रों के मुताबिक बैठक में इस बात को लेकर भी चर्चा हुई कि अगर रेलवे टेंडर घोटाले में सीबीआई की पूछताछ के बाद लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को गिरफ्तार कर लिया जाता है तो पार्टी इसका कैसा मुकाबला करेगी?
क्या है रेलवे टेंडर घोटाला
बता दें कि लालू यादव पर आरोप है कि रेलमंत्री रहने के दौरान उन्होंने रांची और पुरी समेत अन्य रेलवे होटलों के विकास और मरम्मत का ठेका निजी कंपनियों को दिया था, जो रेलवे के हेरिटेज होटल थे। उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए इन होटलों को अपने करीबियों को लीज पर बेच डाला था। ये दोनों होटल अंग्रेजों के जमाने के थे इसीलिए इसका ऐतिहासिक महत्व था पर अब नहीं रहा क्योंकि इन होटल्स को पूरा रेनोवेटेड कर दिया गया है। प्रसाद एवं उनके परिवार के खिलाफ एक हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति का मामला रांची और पुरी से जुड़ा हुआ है। लालू प्रसाद जब रेल मंत्री थे तब रेल मंत्रालय ने रांची एवं पुरी के ऐतिहासिक होटल बीएनआर को लीज पर देने का निर्णय लिया।
इस लीज के लिए रांची के कुछ होटल व्यवसाइयों के अलावा लालू प्रसाद के निकट के सहयोगी एवं झारखंड से राज्यसभा के सांसद प्रेमचंद गुप्ता की कंपनी दोनों होटलों को लेने में सफल रहे और रांची के बीएनआर होटल को पटना के प्रसिद्ध होटल चाणक्य के संचालक हर्ष कोचर को 60 साल के लिए लीज पर मिल गया। पहले लीज की अवधि 30 वर्ष रखी गयी, पर बाद में इसकी अवधि बढ़ाकर 60 साल कर दी गई। आरोप है कि इन दोनों होटलों को लीज पर देने की जितनी कीमत राज्य सरकार को मिलनी चाहिए वह नहीं मिली। वैसे इस मामले में लालू प्रसाद का कहना है कि रेलवे ने नियम के तहत इन होटलों को लीज पर दिया था और इससे उनका कोई लेना देना नहीं है।