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रोजगार के हैं भरपूर अवसर, घर बैठे ऐसे कर सकते हैं कमाई

उदारीकरण के बाद से हमारा बीमा उद्योग लगातार 12-15 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रहा है और 2025 तक इसके एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है (आईबीईएफ इंडस्ट्री के अनुमानों के अनुसार)। टेक्‍नोलॉजी के असर से नए इंश्‍योरेंस प्रोडक्‍ट्स और बिजनेस मॉडल बाजार में आ रहे हैं। इससे न सिर्फ उद्योग बढ़ रहा है, बल्कि रोज़गार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं। सरकार की पहल भी बीमा क्षेत्र में बेहतर रोजगार के अवसर पैदा कर रही है। इरडा (IRDAI) द्वारा प्रायोजित पीओएसपी कार्यक्रम, केन्द्र सरकार की आयुष्‍मान भारत योजना और इंश्योरटेक का विकास ऐसे तीन मुख्य कारण हैं, जिनकी सहायता से बीमा क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

लगातार वृद्धि और विकास के बावजूद भारत में बीमा क्षेत्र की पहुंच ज्यादा नहीं बढ़ पा रही है। आज भी भारत में 90 करोड़ लोग बीमा कवरेज से बाहर हैं। वैसे तो इसके कई कारण हैं, लेकिन बीमा के फायदों के जानकारी न होना और आय कम होना इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बने हुए हैं।

इसी माहौल के बीच इरडा (IRDAI) (भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण) भारत के बीमा क्षेत्र और बीमा उद्योग की गवर्निंग बॉडी के रूप में काम कर रहा है। इरडा ने एक नया वितरण मॉडल विकसित किया है जिसे प्‍वाइंट ऑफ सेल पर्सन या पीओएसपी के नाम से जाना जाता है।

एक पीओएसपी बीमा कंपनियों और ब्रोकर्स के लिए वितरक का काम करता है और आम लोगों के लिए बीमा एजेंट का काम करता है। सब लोगों तक पहुंचने की अपनी कोशिशों के जरिए वह जागरूकता पैदा करने का दायित्व पूरा कर रहा है। पीओएसपी पारदर्शी तरीके से विभिन्न बीमा उत्पादों के तहत पहले से लिखित बीमा पॉलिसी उपभोक्ताओं को मौके पर ही उपलब्ध कराते हैं।

पीओएसपी के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें मोटर या यात्रा बीमा जैसी बहुत ज्यादा लिखा-पढ़ी की जरूरत भी नहीं है। कोई भी व्यक्ति साधारण ट्रेनिंग हासिल कर पीओएसपी बन सकता है। इसके अलावा अन्य कारणों की वजह से भी पीओएसपी रोजगार का अच्छा साधन है। इसके लिए योग्यता की शर्तें आसान हैं, सर्टिफिकेशन आसान है और यह आय का नियमित स्रोत भी है।

यह कार्यक्रम न सिर्फ आम लोगों को जागरूक कर रहा है, बल्कि रोजगार के नए मौके के साथ देश के आर्थिक विकास में भी योगदान दे रहा है। पीओएसपी और उनके ट्रेनर अथवा एजुकेटर इस कार्यक्रम के जरिए अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

केन्द्र सरकार ने एक ऐसा कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें एक काम से दो जरूरतें पूरी हो रही हैं। वर्ष 2018 में लागू की गई आयुष्‍मान भारत नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम (एबीएनएचपीएस) दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना है। इस योजना के जरिए देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के दस करोड परिवारों को पांच लाख रुपये प्रति परिवार प्रति वर्ष का बीमा कवर देकर बीमारियों के उपचार पर होने वाले खर्च से बचाया जाता है।

नाम परिवर्तन के बाद प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) के रूप में इस योजना ने 45 लाख लोगों को बीमारी के चंगुल से बचाया है और 50 करोड़ अन्य लोगों को बचाने का लक्ष्य रखता है।

यह स्वास्थ्य योजना लोगों को स्वस्थ रखने के साथ उन्हें रोजगार भी दे रही है। अगले पांच से सात वर्ष में पीएमजेएवाई के जरिए करीब 11 लाख रोजगार पैदा होने की उम्मीद है। योजना के कारण पैदा होने वाली भारी मांग को पूरा करने के लिए आने वाले वर्षों में अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवाओं का तेजी से विकास होगा। इससे रोजगार के अवसर भी निश्चित रूप से बढेंगे। वास्तविकता यह है कि यह योजना भारतीय रेल के बाद दूसरी सबसे बड़ी रोजगार पैदा करने वाली योजना बनेगी।

रोजगार के क्षेत्र में अकाल की स्थिति इंश्योरटेक में वृद्धि ने संभाला है। पूरी दुनिया में आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा की धूम है और जब बात बीमा उद्योग की आती है तो इस क्षेत्र में इस तकनीक के उपयोग को आसानी से समझा जा सकता है। बिग डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग मिल कर बीमा क्षेत्र में क्रांति ला रहे हैं। बीमा कंपनियों के लिए जोखिम के आकलन, सटीक प्रीमियम के निर्धारण के लिए आईओटी डिवाइस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए व्यक्ति की आवश्यकतानुसार बीमा पॉलिसी तैयार करने जैसे कई कामों में बिग डेटा एनालिटिक्स तथा मशीन लर्निंग बहुत बड़ी भूमिका अदा कर रहे हैं।

यह क्रांति सिर्फ उद्योग के संचालन ही नहीं, बल्कि रोजगार उपलब्ध में भी हो रही है। बिग डेटा साइंटिस्ट, एआई और मशीन लर्निंग विशेषज्ञ, और इनके लिए ट्रेनर्स और एजुकेटर्स जैसे कई रोजगार इसके जरिए पैदा होना तय है। जब चौथी औद्योगिक क्रांति (इंडस्ट्री 4.0) का असर शुरू होगा तो इसकी जरूरतों को पूरा करने वाले रोजगार तेजी से बढेंगे। पहले जहां कम्प्यूटराइजेशन पर जोर था, वहीं इंडस्ट्री 4.0 में आईओटी, बिग डाटा तथा एआई की सहायता से ऑटोमेशन, इंटरकनेक्टिविटी, मशीन लर्निंग और रीयल टाइम डेटा पर जोर रहेगा।

बीमा क्षेत्र लोगों के लिए न सिर्फ स्वास्थ्य और अच्छे जीवन का कारण बन कर उभरा है, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक अवसर के रूप में सामने आया है जो सम्मानित ढंग से अपनी आजीविका अर्जित करना चाहते हैं। बीमा कंपनियों द्वारा अपनाई जा रही नई तकनीकों और सरकार के प्रयासों से बीमा की पहुंच बढ़ना और इससे देश की अर्थव्यवस्था को लाभ मिलना तय है।

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