इससे बड़ी मानवता की मिसाल क्या होगी कि एक पंडित ने अपने खून से कुरान शरीफ और गीता ग्रंथ लिख डाले हैं। इसमें 10 साल लगे। मिलिए, इनसे।
ये पंडित है रोहतक जिले के गांव निंदाना के कर्मवीर कौशिक। कर्मवीर बताते हैं कि लगभग तीन साल में उन्होंने 186 पन्नों की श्रीमद्भगवत गीता लिखी और लगभग 7 साल में 369 पन्नों में कुरान-ए-शरीफ को लिखा। उन्होंने एक मोरपंख से दोनों ग्रंथ को लिखा है। श्लोक हिन्दी व संस्कृत भाषा में लिखे गए हैं।
दर्जनों धर्म ग्रंथों का अवलोकन करने वाले पंडित कर्मवीर कौशिक बताते है कि किसी धर्म में उन्माद व वैरभाव की बात अंकित नहीं है। कई व्यक्तियों ने समाज को लड़ाने की मंशा से धर्म के नाम पर उन्माद फैलाया हुआ है। प्रत्येक धर्म ग्रंथ या धर्म मानवता का पोषक है और मात्र व्यक्ति की भलाई की कामना करता है।
कर्मवीर कौशिक बताते हैं कि उनकी पीड़ा है कि कोई भी व्यक्ति बिना धर्म ग्रंथ का ज्ञान लिए अपनी अवधारणा बना लेता है और उसे ऊंचे ऊंचे स्वर में कहने लगता है जबकि ग्रंथों में ऐसा कुछ लिखा ही नहीं गया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति पहले धर्म ग्रंथों का अवलोकन करने फिर अपनी राय बनाए।
रक्त से धर्मग्रथ लिखने की वजह से उन्हें देश के सांसद साक्षी महाराज, उदित राज, धर्मवीर सिंह तालु, राजकुमार सैनी, महंत चांद नाथ योगी, आदित्यनाथ योगी के अलावा जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी व श्रीमज्ज्त्योतिपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी श्रीमाधवाश्रमजी महाराज ने प्रशस्ति पत्र दिया।
विभिन्न साधु समाज संगठन, खाप पंचायतों एव ग्राम पंचायतों ने पंडित कौशिक को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है। कौशिक का कहना है कि आर्थिक बंदिशें हैं, लेकिन उनका लक्ष्य देश के 11 हजार गांवों में सीधे रूप से गीता का संदेश देना है। वह ऐसा देश की एकता व अखंडता के लिए करना चाहते हैं।