रोहतक: हरियाणा के रोहतक में मानसिक रूप से कमजोर नेपाली महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में 8 में से 7 दोषियों को मौत की सजा सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीमा सिंघल ने कल कहा, “कितनी बार निर्भया की मौत होगी।” जज ने कहा, ”आज का फैसला समाज को यह संदेश देगा कि ऐसे अपराधों के साथ बहुत सख्ती से निपटा जाएगा और इन जघन्य अपराधों के गुनाहगारों को उचित सजा दी जाएगी।’’ न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पीड़िता के शरीर के घाव के निशान नहीं मिटाए जा सकते, लेकिन आत्मा पर चोट के निशान भी बने रहेंगे।
दोषियों को न मिलेगी परोल, न ही कोई रियायत…
अदालत ने साफ कर दिया कि इन दोषियों को कोई रियायत, कोई परोल नहीं मिलेगी। मामले की सुनवाई 10 महीने में पूरी हुई। यह घटना भी मीडिया की सुर्खियां बनी थी। निचली अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने की स्थिति में इसकी पुष्टि उच्च न्यायालय द्वारा की जाती है।
मलिक ने न्यायाधीश को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘महिलाएं निर्भया और दामिनी नाम स्वीकारने से इंकार करती हैं इसका कारण यह है कि उनकी पहचान को नकारा नहीं जाना चाहिए। निर्भया कितनी बार मरेगी। किसी को हमारी निजी पहचान छीनने का अधिकार नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों से बहुत ही सख्ती से निपटा जाना चाहिए।
सोमवार को 7 दोषियों को सजा सुनाई है। इन लोगों को पिछले सप्ताह दोषी ठहराया गया था। दिलचस्प बात है कि इस मामले में भी सात दोषियों के अलावा एक नाबालिग आरोपी है जिसके खिलाफ किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष सुनवाई चल रही है। अदालत ने इसके अलावा सभी अपराधियों, पदम, पवन, सुनील, सरवार, राजेश, सुनील और मनबीर पर 1.75 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सभी अपराधी 30 तक की आयुवर्ग के हैं।
क्या था पूरा मामला…
यह घटना इसी साल फरवरी महीने की है। 28 साल की इस महिला से बड़ी ही निर्ममता से बलात्कार किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी। अपराधियों ने उसके शव को रोहतक-हिसार राजमार्ग पर अकबरपुर गांव के निकट खेत में फेंक दिया था। यह महिला अपनी बहन और बहनोई के साथ चिनयोट कालोनी में रहती थी और वह एक फरवरी से लापता थी। चार फरवरी को उसका शव में खेत में मिला था। महिला की खोपड़ी में फ्रैक्चर था और उसके कुछ अंगों को संभवत: पशुओं ने नोच खाया था।
महिला के भीतर पत्थर और ब्लेड मिले थे…
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस महिला के गुप्तांग में कई चोटों की पुष्टि की गई थी। पीजीआईएमएस के चिकित्सकों ने कहा था कि महिला के शरीर के भीतर पत्थर और ब्लेड भी पाए गए थे। रोहतक की यह घटना मीडिया की सुखिर्यों का हिस्सा बनी थी और विपक्ष ने मनोहर लाल खट्टर सरकार पर इस घटना को लेकर निशाना साधा था। अपराध की बर्बरता को देखते हुए अभियोजन पक्ष ने अदालत से अपील की थी कि वह दोषियों को मौत की सजा सुनाए।
इंडियन पीनल कोड की ये धाराएं लगीं…
पीड़ित पक्ष की पैरवी कर रहे वकील प्रदीप मलिक ने कहा, ‘‘अदालत ने धारा 302 के तहत मौत की सजा सुनाई है।’’ इसके अलावा इन सातों दोषियों को धारा 376-डी (सामूहिक बलात्कार) का भी दोषी ठहराया गया था और इसके लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वकील ने कहा, ‘‘इन लोगों को धारा 366 (अपहरण) के तहत भी दोषी ठहराया गया और इसके लिए 10 साल की सजा मिली। सबूत नष्ट करने को लेकर धारा 201 के तहत सात साल की सजा सुनाई गई। इसके अलावा सातों पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।’’ उनके मुताबिक अदालत ने कहा है ‘सभी सजाएं साथ-साथ लागू होंगी।’
कैसे की गई पूरे मामले की जांच…
इस घटना को लेकर हरियाणा के पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंघल ने विशेष जांच दल का गठन किया था जिसने मामले के नौ आरोपियों में से आठ को गिरफ्तार किया। रोहतक पुलिस की गिरफ्त में आने से पहले नौंवें आरोपी ने नयी दिल्ली में आत्महत्या कर ली। अदालत ने राजेश उर्फ घुचरू, पवन, प्रमोद उर्फ पदम, सरवर उर्फ बिल्लू, मनबीर उर्फ मन्नी, सुनील उर्फ मादा तथा सुनील उर्फ शीला को मौत की सजा सुनाई। ये सभी गड्डी खेरी गांव के निवासी हैं। मामले का एक आरोपी नाबालिग है जिसका मामला किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष चल रहा है। एक अन्य आरोपी सोमबीर भी इसी गांव का निवासी था। उसने कथित तौर पर खुदकुशी कर ली थी। एसआईटी ने इसी साल मई में आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। इस मामले में कार्रवाई न करने के कारण चारों ओर से हरियाणा पुलिस को आलोचना झेलनी पड़ी। रोहतक में पुलिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हुए जिसके बाद पुलिस हरकत में आई।