अजब-गजब

रो पड़े सब, जब 498 दिन बाद अंतिम संस्कार के लिए सिर्फ चादर ले गए बेटा-बेटी

पुलिस स्टेशन में मौजूद लोगों की आंखों में आंसू आ गए, जब उन्होंने एक बेटा-बेटी को अंतिम संस्कार के लिए चादर ले जाते हुए देखा। 498 दिन बाद पता चला था कि पिता नहीं रहे। रोहतक रेलवे स्टेशन पर मिले अज्ञात वृद्ध के शव की शिनाख्त 498 दिन बाद ग्रुप डी की परीक्षा देने जा रहे उसके नाती ने लावारिस शवों के पोस्टर को देखकर की।

रो पड़े सब, जब अंतिम संस्कार के लिए सिर्फ चादर ले गए बेटा-बेटी, 498 दिन पहले हुई थी मौत

इसके बाद सूचना मिलने पर जीआरपी थाने पहुंचे बेटा-बेटी शव के साथ लिपटी मिली चादर को अंतिम संस्कार के लिए ले गए। जीआरपी थाने पर तैनात एएसआई ने बताया कि 27 जून 2017 को प्लेटफार्म नंबर दो पर करीब 86 वर्षीय वृद्ध का शव पड़ा मिला था। शिनाख्त न होने पर अज्ञात में पोस्टमार्टम कराकर शव का अंतिम संस्कार करवा दिया था। जिस चादर में शव लिपटा मिला था, उसे सील करके सुरक्षित रख लिया गया था।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु की वजह स्वाभाविक आई, इस कारण पूरी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर दी गई। शिनाख्त के इंतजार में मृतक की फोटो रेलवे स्टेशन पर बने पोस्टर में चस्पा करवा दी गई।

नाती ने देखी थी पोस्टर में फोटो

वहीं शनिवार को सुनारिया निवासी अभिषेक पुत्र अजमेर फरीदाबाद में होने वाली ग्रुप डी की परीक्षा में शामिल होने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचा। ट्रेन के आने का इंतजार करते-करते वह अज्ञात शवों का पोस्टर देखने लगा। अचानक उसकी नजर एक फोटो पर गई, जिसे देखकर वह दंग रह गया। अभिषेक ने तुरंत थाना जीआरपी पहुंचकर संपर्क करते हुए बताया कि उक्त फोटो उसके नाना बुद्धराम की है।

इसके बाद उसने फोन करके परिजनों को पूरे मामले की जानकारी दी। इस पर गोहाना निवासी वृद्ध की बेटी शीला पत्नी राजकुमार व संजय नगर निवासी पुत्र ओमप्रकाश थाने पर पहुंचे। उन्होंने शव की शिनाख्त अपने पिता बुद्धराम निवासी संजय नगर के रूप में करते हुए बताया कि वह राजमिस्त्री थे और अचानक घर से लापता हो गए थे। उन्होंने पुलिस को लिखित में शिनाख्त करते हुए उनकी निशानी मांगी, ताकि वह अंतिम संस्कार की रस्म पूरी कर सकें।

इसके बाद जीआरपी ने जिस चादर में शव लिपटा मिला था, वह अंतिम संस्कार के लिए बेटा-बेटी के सुपुर्द कर दी। एएसआई सतीश ने बताया कि शव की शिनाख्त होने के बाद बेटा-बेटी ने अंतिम संस्कार की रस्म पूरी करने के बाबत उनके पास से मिला सामान मांगा। चूंकि मृतक के पास केवल चादर ही मिली थी, इसलिए वह परिजनों को रस्म पूरी करने के लिए सौंप दी गई।

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